आलोचना इतिहास तथा सिद्धान्त | Aalochna Ityas tatha Sidhant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
589
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ढी सीना तथा समषटि-ग्रदथुत-रस का महय- काव्य की नवीन परिधाप--
कथ्यं का चर्गीकरण १५.९१ -- ५५८
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पसंहार मिद्धान्तो की समए - एतिहासिक वर्गकिर्स--काव्य-साधनां
१५८- १६६.
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पुनर्जविन काल की सदिन्य-खाधना--मानव-जगत् का महख-भापण-क्लाका
नवनिास् कतना फे तच : विचार तथा शेली--श्ब्द-प्रयोग-- स्पष्टता तथा
दविध्ते कथन ~ प्राचीन साहियिक नियमों की मान्यता-- काव्य का श्रेष्ठ रूप
कृगलोचना-कषेत्र का अनुसन्धान - ७०-- १७८
न गण ॐ *
नोलद्यीं शती पृ्वाद्ध की झालोचना--मापणु-शास्त्र की महत्ता- भापण-कल।
के तच्य- नियमों का निर्माण--श्न्य साहित्यिक नियम--झनजुकरण-सिद्धान्त की
व्याख्या -- काव्य का महत्त्व १७६-- १८६
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मोलदर्वी शती उत्तराद्ध का सादित्यिक चातावरण--काव्य का समथेन-- कवियों क
वर्गीकरण -- काव्य की झत्मा--सामाजिक द्न्द्--काव्य की प्राचीन महत्ता --
दमुकरण-मिद्धान्त--काव्य का मूल्य भ्रामक सिद्धान्तों का निराकरणु--नाटक क
चलन « सुन्यान्तका - सुखान्तिका--गात-काव्य १८६- १६५४
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सार्दिस्यिक चातावरंग : काव्य-कला चिन्तन--काव्य का लघ्य तथा उद्गम--काव्य:
पखा : कवि तथा छुल-सयोगन-शलंकार-प्रयोग
९ %
व छ्रन्तिमि च् : श्रालोचना-तेत्र से नव-स्फूनिं- काव्य-नम्बन्धी
श्रानाचना--नाःरक-स्यना विना
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सिम 2. देशनकाल व्रिचार्--माण--पिवृ रकः तथा श्रय पाच -
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