हिन्दू समाज और स्त्रियाँ | Hindu Samaj Aur Striyan

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Hindu Samaj Aur Striyan  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्त्रियो की दुता ६ पामाजिक नथा धार्मिक सपनों में उनका 'च्छा प्रभुत्व दै 1 इन्द्रो मे मोने फे शिखर वाला स्वामीन्नारायणाका एक पत्दिर बनवाया है, शयसे स्न ही यद श्रनुमान क्रिया जा सक्ना है कि उनकी झार्थिक-स्थिति झच्छी है । इतना होने पर भी इन गहन फी उविन सदायना का को प्रबन्ध बच तक हमारे समाज ने नहीं किया है । फन्त-रवस्प पदले किस्से वाली बदन की तरह इन बदन की श्र £नक वचो कौ हालद भी दर्दनाक है । क्या हिन्दुओं की विरासत के हक से सम्बन्ध रखने वाले कानून ऐसी निरम्कूता पत्नियों ( शोर उनकी सन्तानों ) को इनके पति या ससुर से उनकी स्थित्ति के श्रतुरूप जीदिका श्रौर विगसत झा इक मॉंगने का झधिकार देने हैं है ऐसे झधिकारों के मिलते रए भी मर वे गुजारे के लिए कुछ न मांगे हो पेट कैसे पालें है झगर ऐसी दुरदुराई हुई बदनों से दम जीबिका के लिए प्रार्थना फरने का मोड छुड़ाने की कोशिश करें हो क्या उनकी श्रीर हमारी (सुधारक की ) इस निप्कियता मे कुलाभिमानी पुर्यो धा स्वेच्छाचार झर अधिक मे बढ़ेगा ? इसके कारण सियो के कुमागे-गामी होने, घुरे प्रलोभनों में हंसने का क्या डर नहीं दे? इन बहमों फे झपने झधिकारों का मोद छोड़ देने से निर्देय पतियों श्लोर समुरों का वया दौसन्ञा नहीं बढ़ेगा १ ये बातें इतनी विस्तार के साथ कही गई हैं कि इनमें श्रतिशयोक्ति का डर नदीं रदना ! इस तरद की दर्दनाक दालन में फंसी हुई बहनें क्या फरें, यद धावश्य दी एक मदरव को प्रश्न




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