शांति के नूतन क्षितिज | Shanti Ke Nutan Kshitij

Book Image : शांति के नूतन क्षितिज  - Shanti Ke Nutan Kshitij

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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योरोप में प्रोससाहन 2७ करने के इच्छकं हो । वाशिगटन पर जो राजनीतिक दवाव पडा, उसको रोका नहीं जा 'सकता था | २२ जनवरी, १९४६ को वार्शिगटन स्थित ह्वाइट हाउस ;भवन में, जनरल ' आइसनहावर को, जो उस समय सेनाव्यक्ष थे, “प्रिंग वैक डेंडी” (पिताजी को वापस वुलाओ ) क्लवों के प्रतिनिधियों ने अचानक घेर लिया । करुद्ध महिलाओ दस मिनट तक मांगो गौर शिकायतों की उन पर वौछार कर दी । वे शर्मिन्दा हुए और वौखला गये और अपने ही दाव्दों मे, जो उन्होंने वाद में सभा की सैनिक मामलों की समिति की वैठक में कहे थे, भावावेण में फिंकतेंव्य-विभूढ़ हो गये थे। उसी दिन सेनेट की दिदलीय उपसमिति ने, त्वरित गति से किये जाने वाले सैन्य-विघटन से संतुष्ट न होकर इस वात पर वल दिया कि सेना में अभी भी २० लाख आदमी आवश्यकता से अधिक हूं और उनको हटा देने की मौँग की । काग्रेस के दोनों दलों के नेताओ ने सेनाओं को विघटिंत करने तथा मवि नौसेना और वायुसेना को सुरक्षित रखने के आन्दोलन मे जनता की श्रश॑सा प्राप्त करने मे मानो एक दूसरे से होड लगा दी थी । यदि दोनो राजनीतिक दलों के कुछ दुरदर्शी नेताओं ने अपनी राजनीतिज्ञता न दिखायी होती ओर उनके प्रस्तावो के प्रति अमरीकियो की अनुकू प्रतिक्रिया न होती, तो सामान्य स्थिति प्राप्त करने के दूसरे जवर्दस्त झगडे का परिणाम ` मौर भी हानिकारक हुमा होता । सरकारी पदाधिकारियों, निजी संस्थाओं और जनता नें सावारणतया योरोप और एशिया की सकटकालीन आवश्यकताओं के प्रति गहरी दिलचस्पी का परिचय दिया। भूतपूवं राष्टराघ्यभ हृवर, राष्टराव्यक्न दूमन दारा ययार्थता का पता लगाने के के उदुदेद्य से विद्व का दौरा करने के लिए भेजे यये। वे तत्काल सामूहिक सहायता के लिए प्रभावपूर्ण तकें लेकर लौटे और अमरीकियो ने भी अपनी परम्परागत उदारता का परिचय दिया। अमरीकी पहल और डालर ने “उनरा' (एपप्ता५& ) , विदव वेक, मुद्रा- निधि और दुर-टूर तक विस्तृत संयुक्त राष्ट्र सब की विधिप्ट संस्थाओं को विकसित करने में वहुत महत्वपूर्ण भाग लिया | जाहिर है कि योरोप में यह कार्ये बहुत कठिन था! किसी समय विदव- सम्यता के इस केन्द्र को दो ही पीढियों में दो विनाशकारी युद्धों से गुजरते देख कर धरदि कोई अमरीकी प्रेक्षक प्रथम दृष्टि मे यह घारणा वना ले




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