सामान्य शिक्षा भाग - 1 | Samanya Shiksha Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इनकी उत्पत्ति के विपय में भी झनेक प्रकार के सिद्धान्त प्रचलित हैं । जवसे दरदशैक , यन्पर॒ (16108008) कां भाविष्कार हुमा है, . धाकाश मंडल में मिलने बाते पिण्डो ( 06७७४ 10016७8 } का श्रवलोकन सरल हो गया है । वैज्ञानिक श्रवलोकन तवां विभिन्न प्रमाणों पर भाधारित प्रय्यो की उत्पत्ति से सम्बन्धित कुछ सिद्धान्त इस प्रकार हैं ; _ (१) भ्ठारवी शताब्द में फ्रांसीसी वैज्ञानिक बफत (01100) ने १७४४५ में भ्रपना सिद्धान्त प्रस्तुत किया । उसके अनुसार श्र मण्डल का जन्म हमारे थं तथ पुष्छन तारे (00006) के टकराने से हुपा है । इस सिद्धान्त को, मषिक समर्पन प्राप्त नहीं हो सका है ! बुध [^ [1 1 शक्रे ८ 0\ ४९५५ श्वी © + एन्य मंगल! ०. 1 (15 शः ^6८10195 2९ 7 ; 5 ण्णः 5099८ (२) काट ्रौर लाप्लास का वरय.सिद्त (णण ४९004098)8) दूरवर्सक यन्त्र की सहायता ऐे मालूम हुभा कि दनिग्रह एक गोलाकार पु है। उसके चारो मोर दब्य का! एक वलय (पं) पाया जाता है। इस सथ्य के भाषार पर जर्मन विद्वान काट (५०४, 1724-1604} ने सवृ १७६५ ें ्रहमण्डल करो उदयतति के सम्बन्ध में भरनी परिकिल्यना र्वु को । उपे परनु-, सार ग्रहो का जन्म सूर्य के गैत पदार्य के वलयों (यश) से हुआ है। इसी परिकुस्पना को फ़ासोसो गणितन लाप्लास (1८020, 21749-1837) ने सा १७६६ में विस्तृव रूप दिया। उसके भनुसार हमारा सूर्य तया हमारे




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