विवर्त | Vivrat
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५
में उनमें साथ होऊंपों ! वहा परे होगा नहीं भौर- सेविन वाद कि
नुम्हारे मनमे प्रेम हो सवा जो फॉक से रहने देता 1“
दोनों हापोगे मोहिनीनये झपनी भोर सीचते हुए बरंपतों याएी में
जितेन बोना--“मोहिनों, मे
“नही, रोक नहीं मुझे, जिमेन, जानें में पया कर बंठू ? भाई थी
कि ससो चतूगौ, सामने देगुगी, पीछे०र ध्यान ने दूंगी. पर गया
मर ? मोटर बगते तुम्हे चुमते हैं - महीं तुम उन्हे हो तो नहीं पाहते,
महीं तो भूल मयों नहीं पाते ! दयायद उन्हीके लिए मुझे चाहने हो 1
यहकर गोनों हाथोमें उसने भपनें मू हो छिपाया भौर घीमे-पीमे सिसक
उषी. जितेनने हाथोमें थमे उस मु्े गिरकों भाहिस्तासें उठानेती
गोधिय करते हुए बहा--' मोहिनी, यह पया ? देखो, उठो ! मुनो हो,
मुनौ मोनी.
लेगिन मोहिनी चुप रही, पतग रही, मोर निगषती रहो
जिनेन शुद्ध न गमक सका. यह दिठका रह गया. ये पल उससे
'इठाए न उठे. जी होता था कि इकहरों बायाकी इस शपदार्य सारीकों
'भपनी मुद्टीम पपदकर इस बायुफे स्योममें ऐसे फल दे कि उसवा नाम
निशान बही ने रह जाएं. होता था कि सिर उस ऊपर उठाकर
उसे भरणोमें ऐसा विद जाए वि. स्यय धून्य हो रहे. पर सुध ने
षा. भक्ति, विमूद उस भक्तारण भौर भतवर्य भावग सिसकतो
मोहिसीफे सामने बद् पत्थर बना बेठा रह णया
देवा गया दि उन क्षणोमें मोटिनीको धपनी धोरसे स्वास्य्य पानेमें
उतनी कठिनाई नहीं हुई. उठने हुए उससे बटा- साफ परना, हमें
डर हो गई है.”
कटर यद उटो पोर सोपी चतती हुई भपना गादीपर था. गई.
दिनेन बडा रह गया... शुद्ध देर जंसे समा हो न रहो. हुपा दि वह
परपर होफर घटी गड पयों से जाएं कि बुध रे ही नहीं ? डि उस
मोटर बगते में, प्रपनेम, घोर सबसे वह घाग ही बयो से सर
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