कुशललाभ व्यक्तित्व और कतित्व | Kushllabh Vyaktitv Aur Katitv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
265
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रे. कुशललाभ : व्यक्तित्व और कृतित्व
सन्निहित राज्य पश्चिमी राजस्थान है।* कुशललाभ के काल में इस प्रदेश की राजनीतिक
ग्यवस्था अत्यन्त उथल-पुथल पूणं मौर अस्त-व्यस्त थो । इस काल में जेसलमेर में
मालदेवभाटी, जोधपुर मे मालदेव राठौड़, बीकानेर मे कल्याणमल तथा मेवाड़ में
उदयसिंह राज्य कर रहे थे । इन सभी राज्यों मे पारस्परिक भौर आन्तरिक कलह व्याप्त
धा! मालदेव राठौड जैसलमेर पर अधिकार करना चाहता था । अतः उसने स० १६०६
में पंचोली नेतसी के नेतृत्व में सेना भेजी और जैसलमेर को अपने अधीन कर लिया ।
मारवाड़ में आन्तरिक कलह जोरों पर था । मुगल बादशाह इन राजपूत राज्यों को अपने
व में करने के लिए प्रयत्नशील थे । इसी से हाजी खाँ, अकबर आदि के साथ इनका
निरंतर संघषं रहा । जैसलमेर में मालदेव की मृत्यु के उपरान्त उसका पुत्र हरराज
सण १६१८ वि०के पौव सुदि ६ शुक्रवार को सिंहासन पर बैठा । उसने अपने जीवन के
अन्त में पोकरण पर पुनः अधिकार कर लिया ।
राजपूत और मुगलों मे विवाह सम्बन्ध होने लगे। अकबर ने जयपुर और
जैसलपेर के राजघरानों की राजकुमारियों से विवाह किये । और भी कई इस प्रकार के
सम्बन्ध उनमें हुए । सं० १६४२३ वि० में मोटे राजा उदयसिह ने अपनी पुत्री का विवाह
शहज़ादे सलीम के साथ किया । मुग़लों के साथ सम्बन्धों से अब इस प्रदेशमे प्रायः शान्ति
स्थापित हो गई । किन्तु यहाँ के सभी शासक अनुपस्थित शासक (एन्मेन्टौ रूलसं) हो
गये । जेमलमेर मारवाड के अधीन एक जागीर मात्र बनकर रह् गयाधा। जैसलमेर का
स्वाभिमानी शासक इसे सहन नही कर सकता था। अतः उसने भौ अपनी स्वाधीनता के
लिए मृगलों से वित्राह-सम्बन्ध स्थापित करना आरम्भ कर दिया। जँसलमेर की
राजकुमारी नाथी बाई का अकबर के साथ विवाह शायद इसी का परिणाम था ।3
(भ्रा) गुजरात
(स्तम्भन पावनाय स्तवन मे कुशललाभ्र ने लिखा है कि सारा गुजरात म्लेच्छो
के आतक एवं आक्रमणों से अस्त-व्यस्त था, अतः राजनीतिक और सामरिक गतिविधियों
से णान्त खभात नगरमे पाश्वंनाथजौ कौ प्रतिमा (बिम्ब) को स्थापित की गु ।* कवि
ने इस स्तवन की रचना सबत् १६३८ वि में की ।* इस समय इतिहासकारों ने भी
खभात को शान्तिमय स्थल माना है, जहाँ जेन यति अपने धर्म-प्रचार एवं साहित्य-सृजन
में सलग्न थे ।* इस प्रकार कुशललाभ के काल में समस्त गुजरात की राजनीतिक दशा
अस्त-व्यस्त थी |
सवत् १६११ वि° में शहज्षादे महमूद तृतीय की मृत्यु के पश्चात् सारे गुजरात
में गृह-युद्ध आरम्भ हो गये । सेयद मुबारक, एतमाद खाँ और इमादुलमुत्क जैसे अमीर
सुलतानौ ने अपने हितों के अनुसार पुरे गुजरात को टुकड़े कर बट लिया । एतमाद खाँ
ने अहमदाबाद, साबरमती भौर माही के बीच के प्रदेश अपने अधिकार में कर लिए ।
इमादुनमुन्क का पुत्र चिगीज़ खाँ चंपानेर, सुरत, भडौच और बड़ौदा का शासक बन
बैठा | मूसाखाँ और शेर खाँ फौलादी ने पटुन जिले और क्ादी तक के प्रदेशों को हस्तगत्त
कर लिया । जूनागढ़ और सौराष्ट्र अमीन खां गुरी के हाथ पड़ गये तथा धंधूका, घोलका
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