संस्कृतवाक्यप्रवोध: | Sanskritvak Parbhod
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सर्छतवायप्रच पर ॥ १५
ष्यं पिपी क्विद् दुष ददाति १ यह भण कितना दूष दती ६?
ददापस्थाः 1 दशसर)
तवाब्जावया सम्ति गे वा हे तरे बकरी भिद हैं वा नहीं !
सन्ति। दै।
मतिदिन हे किपद् दुग्ध जायते नित्य तेरे कितना दूध होता है !
पञ्च सयः पाद सन |
| मनि कि
निरयं पराणे धृतनवनीति यक्त ४ | मादन ।कनना पी भौर गश्लग दत्र है
सादद्रादशमष्ये । सारे नारद सेर |
भ्सयह कियद् भुग्यवे पर्य विरा | मतिदिन कितना खःथा जाता झोर कितना
मते। विकता है ?
सार्भद्विपरथं भुग्यन द्दापस्थं च पिकी भध तेर साया जहा गौर दशसेरमि
सके! 1 {कि दै।
क्रयविक्रयाघंप्रकरणम् ॥
एतदूप्येकेन शियनू मिरुति ! से पी और गपखन एक रुपया का तिना
\ भिश्ता हैः
निभिमरयगु ! सीग सीन सर |
की मिन् मूर्यष् † । रेल का बया मूस्प दे !
मुद्रापदिन सेटकद्रये माप्यते । चार अगने का दो सेर मिदता दे |
शर्रिन्नगरे कठि इड्रा्सस्ति हम गण् में ढितनी दुकानें 8,
पन्च राइसाणि | पांच दजाएं ।
^
साद प्रकरणम् ॥
एते पुद्र पेद। + [ सो रुपये दीजिये 1.
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