संस्कृतवाक्यप्रवोध: | Sanskritvak Parbhod

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Sanskritvak Parbhod by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सर्छतवायप्रच पर ॥ १५ ष्यं पिपी क्विद्‌ दुष ददाति १ यह भण कितना दूष दती ६? ददापस्थाः 1 दशसर) तवाब्जावया सम्ति गे वा हे तरे बकरी भिद हैं वा नहीं ! सन्ति। दै। मतिदिन हे किपद्‌ दुग्ध जायते नित्य तेरे कितना दूध होता है ! पञ्च सयः पाद सन | | मनि कि निरयं पराणे धृतनवनीति यक्त ४ | मादन ।कनना पी भौर गश्लग दत्र है सादद्रादशमष्ये । सारे नारद सेर | भ्सयह कियद्‌ भुग्यवे पर्य विरा | मतिदिन कितना खःथा जाता झोर कितना मते। विकता है ? सार्भद्विपरथं भुग्यन द्दापस्थं च पिकी भध तेर साया जहा गौर दशसेरमि सके! 1 {कि दै। क्रयविक्रयाघंप्रकरणम्‌ ॥ एतदूप्येकेन शियनू मिरुति ! से पी और गपखन एक रुपया का तिना \ भिश्ता हैः निभिमरयगु ! सीग सीन सर | की मिन्‌ मूर्यष्‌ † । रेल का बया मूस्प दे ! मुद्रापदिन सेटकद्रये माप्यते । चार अगने का दो सेर मिदता दे | शर्रिन्नगरे कठि इड्रा्सस्ति हम गण्‌ में ढितनी दुकानें 8, पन्च राइसाणि | पांच दजाएं । ^ साद प्रकरणम्‌ ॥ एते पुद्र पेद। + [ सो रुपये दीजिये 1.




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