सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय भाग २ | Sampurn Gandhi Vangmay Khand-2

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Sampurn Gandhi Vangmay Khand-2 by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ बक्षिण झाफ़िकावासों शिटिदा मारसीयोंकी कष्ट-गाया सारतकी लमतासे भपीए प्पं्ीग्ै षरे कारणीगिय जूम ५ १८९९ को उक्ति साझिम्ते मारतझी बाजके पिट रवाना हप बे । शिन आमरि्मषादौ मारी समपरगरे धिनि उस्हें बह जिस्मेशारी संदी थी कि ने दक्चित शापिदी मरवीयत्दी कऋ-गावा सारतके भविक्मरिवो ज अगवा सामये वैय को । गांधीजौने अपने नमग पाज मासिक्े स्परतबासमें इस रिरामें जो मदे पसि माषौ बह भौ शरीरतया आफ निरि हरिन्त इम घाठम आमिक्म (धिति जाप्या परिधि सारदीयोंदी कह-य्रभा ) नामे णक भगिति अश्मनो । कव पृतविद्य अपने शाइरणऋ रेपे कारण गाएगें बीम करन्तेर (री पुर्ति्य ) के सासये प्रस्यि कु । श्यो मौय बद्व भौ मौर पोषोजीरो शीज शै प्य शृण सकए परश्चर ध्न्य प्य । प्रस्तावना मदासके पंबेयप्या-मदनकी समामे इस पुस्तिकाकी प्रतियोकि सिए सो छीणा-सपटौ वरं उसके कारण सका दूसरा संस्करप निकारूना आावदयक हो गदा है । बहौ जप्य दिनार दिया था उस कमी मुलाया सही जा सकता । प्विकाष्ौ उत मौपसे दो दारतें सिद हुईं--इलित् भाष्िकिभापौ भाएतीयेकि कष्टक प्रस्ना महत्व न्तिना ई मौर समु-पार निषापी बेस भाइपॉफी भक्ताईम मारतीय चततामे कितनी दिलजस्पी दिखाएँ है। शआाणा हैं कि पद दूसरा संस्करण मौ पहली आापृत्तिके समान ही पौपतापूर्वक अप चापगा बौर यह सिद्ध हो बायेपा कि इस विपयमें धलताकी शिद्षस्पौ कामम है। कऋदाचित्‌ गुल्डोका सुस्य इलाज प्रचार ही है, ओर बह पृस्तिका कस कइपकी पूर्ठिका एक सामस है। इसमें थो. परिधिप्ट' जोड़ दिया यया है बहू परचम आाषृत्तिमें तहीं था। मेरालके एजेंड-जतरलन रायटरके प्रतिनिधिको थो बक्तम्प दिया है उसके १ पर्ष एवम पररिसिप के हौ कोर गत्त जोही बरों गरे थी। बा मैव बस सामपौया दै ओ दृढ दपर भ्रण, म्नो आपव) दाल श) बर केरे बड्ध-बत्वमे क्ठागा है है शुरू दोरेगाढ़े कणुच्केदये आरभ्म होकर २१




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