क़ुरआन मजीद | Quran Mazeed
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
71.04 MB
कुल पष्ठ :
1020
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के के रे
मुकदमा
१७
जिसे क्लिरमूत यानी मखारिजें हुरूफ का बयान (कुरआन के अक्षरों का उच्चारण संस्पान गे
०
मू. ] 2 |. अ, ह | हलक (कण्ठ) के अगले हिस्से से ।
्् टूर« द अ,ह |बीच (मध्य) हलक से) 1
न टं८६ ख, ग | इतेहा-ए-हलक (हलक के अन्तिम भाग से)
रद थ क | जबान की जड़ और ऊपर के तालू की मदद से ।
फ् ््ट. क (जवान के बीच और ऊपर के तालू से थोडा सा 'क़' (काफ) के मखरज
फ् कि '.. |((उच्चारण) से हट कर ।
हू ८८७ | ज, शा, य | ज़बान के बीच के हिस्से और तालू के बीच हिस्से के संयोग से ।
दा ध् ज | ज़बान के किनारे और दांतो की गिर. के पास से यानी सारे किनारे जवान
के लगाने से वाई ओर के ऊपर दाढ़ो की जड़ से या दाहनी तरफ़ से, मगर
दे बाई तरफ से आसान है ।
प्र ल | ज़बान की नोक भौर तालू के संयोग से ।
< न | ज़बान के सिरे और ऊपर के दांतों के नीचे से ।
न र | ज़बान के सिरे और ऊपर वाले सामने के दांतों के नीचे से “न' के स्थान
मर से कुछ आगे ।
८3 ८9 | त,द, त | जबान की नोक और ऊपर के दांतो की जड से मिला कर ।
'हु3८द | ज,ज़, स | ज़बान की नोक और अगले दातों के किनारे से ।
पट ः फ | नीचे के होठ के अन्दर ऊपर के दांतों के सिरे जब छूते हैं ।
रु प््व ब, म | दोनो होठों के बीच मे से ।
८..22। | गलिफ | 'अ' सिफं एक हवा है कि अन्दर से निकलती है ।
द ८१८ ८१८2: | स, स, ज | ज़बान की नोक और अगले दांतो के बीच से ।
ड् व | दोनों होठो को करीब लाकर भी 'फ' की तरह छूना नहीं चाहिए ।
ए क़्रआन मजीद के रुूज़े औक्ाफ़
रे हर एक भाषा के लोग जब बात-चीत करते हैं तो कहीं ठहर जाते हैं और कही नहीं टहरते, कहीं
कम ठहरते हैं कह्दी ज़ियादा और इस ठहरने भौर न ठहरने को बात के सही वयान करने भौर सही
पर मतलव समझने-समझाने मे बहुत दखल है । क्रआन मजीद की इवारत (अरबी-लेख) भी वोल-चाल
£ के अन्दाज़ में है इस लिये अहले इलूम (ज्ञानियो) ने इसके ठहरने, न ठहरने को अलामन (चिह्न)
23 मुकरंर किए हैं। जिन्हें 'रुमुजे औकाफ' कहते हैं । खास ध्यान रखने की बात यह है वि बाम तौर
[१ सभी ज़बानों (भापाओ) में ठहरने के निशान होते हैं, लेकिन गुरमान ञ ठदरने और का
दोनों तरह के निशान होते हैं। जैसा कि हम बोलते हैं 'उठो मत, बंठो' इस जुमले (दाइय) मे
अगर कौमा लगा कर लिखे जैसे 'उठो, मत बेठो' इस तरह लिखने भौर बोलने से उदन का टुर्म है
गौर अगर इस जुमले को इस तरह लिखे जेसे 'उठो मत, बैठो' इस तरह लिखने और पदने में बैटने रा
हुक्म है, इस मिसाल से हमकों खुद अदाज़ा करना चाहिये कि अरवी जो कुरआन की साया हद जिम्दे
पढ़ने में किस कद्र एहततियात (सादधानी) की ज़रूरत है और तिलावते कुरआन (कुरब्यन पाट) में
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