छूत और अछूत पूर्वार्ध | Chhut Aur Achhut Purvardh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विकयावन्यास । १५
कम अदाद्ध तथा अधिक अदाद मिलकर वास करोड़ हैं ।
इसका मतलब यही होता है कि सब लोगों की समझ
अस्प संख्यावालों की अपेक्षा दोष अजान लोग हीन हैं ।
यद ज्ञादती हे। यह प्रथा दो हज़ार घर्षों सो बरावर चली
आ रही है। इस लिये व श्रेष्ठ जाति और निष्कृष्ट जावि
दोनोके नस नस मे मरी हृं हे इस धार्मिक गुलामी का
लोगों के मन पर विचित्र परिणाम हुआ हे । उच्च जातियों
के साथ समानता के हक्का की भावना तक इन नीची जाति
के लोगों में से बिलकुल नष्ट हो गई है । यह बोद्धिक अव-
नति । है ओर इसका कारण हे धार्मिक गुलामी इसका विचार
आगे. चलकर करेंगे। वतमान समय में समाज में जो छूत
अछूत का व्यवहार हे उसके अनसार लोगो के चार विभाग
बन सकते हैं ।
(१) डिस्सित समाज - इस विभाग में चिशेषत नाकरी करने
वाले लोग आते हैं तथा बडेबड़े सरदार जागोरदार ओहदेदार
बड़े बड़े व्यापारी बडे बड़े अधिकारी और प्रसिद्ध विद्वान आदि
इसमें दामील है ।
(२. मध्यम समाज-- इसमे मामूली मुन्शी, दुकानदार,
चित्रकारी या उसीके समान किसी कला विशेष का काम
करके पेट पालने वाले अल्पदिक्षित लोग धामिल हे ।
( ३ ) अशिक्षित समाज- बिटकुल अनपटे ओर मिहनत का
काम करके पेट पालनेवाले लोग इसमें शामिल हैं। माली,
कुष्ठा, धाबी, किसान आदि च्छोग इसो विभाग मे आते डे ।
( ७ ) अस्पृह्य समाज- इसमे दड, चमार, नाम, परया,
अंत्यज, डोम, मेहतर मिरासी आदि ज्ञातियां शामिल हैं । इनमें
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