सौगत सिद्धान्त सार संग्रह | Sougat Sidhant Sar Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चन्द्रधर शर्मा - Chandradhar Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मभ्पििक्षिष्ययो ६
जे तबामूतस्स संखारा हे है संखाइपाबामपखस्वे य॑ तपामूतस्स विम्माणं
से बिस्पारुपादासबकरने च सङगं णष्डलि |
वस्मादिद्द मिक्खने पं किंचि रू्प था कंचि येदमा आ श्चि
सस््मा) ये केचि संखारा, प॑ किंचि विस्माण अतीतालागठपशुप्पन्न
जम्पतत वा बदिसा था, सब्बे 'नेते मम नेसो इमस्मि, न में सो भत्ता
वि पबमेर्त पचामू घंप्पम्भाब बहष्णं |
६३ थो को सिक्के एवं बदेप्य ले तावाईं सगबति अक्तरियं
चरिस्सासि, चष में गया न बब्यकरिस्सति सस्सतों ख्रोको धि था;
यस्सतो कोको तिषा 'म्तबा कोको ति था अनन्तवा फोको सि था,
दूं फीष॑ त॑ उरौर लि था, छबप्प्प लीड स्म तपेरे विषा रोदि वबा
गठो पर॑ मरा सि था न दोति तबागठो पर मरणा थि था. लब्थयकत-
मेष त॑ मिक्खाने तथागतेम लत्स भव श षो श्यं करेस्प । भणापि
भिक्षे पुरिसो स्तेन बिद्धो अस्त त पप्रस्दापछ्लेपनेस, ता्स
सिचा मिस इपझापेप्जु । सो एवं बदेप्य “न तादाइं इसे सल्क्षं ्पाधरि
स्पामि पाष म् षं पुरिषं बानासि येमम्डि विरोे-शशिपोणा पदो
जापेस्सोथाप्ठुरोषा पवंलामो पं गोत्तो षा, दीभो षा ष्स्सोषा
मभ्िमो बा पि भनम्भाव एव तं मिक्डमे तेन पुरियेन प्रस्छ भप सो
पुरिसो कड करेष्य ।
६४ इष भिकटावे अस्मुतच्ा पुपुञमो धरिष्यमं अदस्सादी भरि
अपस्मप्स ्मकतोषिदा सष्छयविष्टी परियुषटितेन चेवा विद्वि । भे
ष्या म मनघिषरपपीया ते धम्मे मनसि रोधि । ये म्मा मनसि
कए्णीप ते धम्मे म मनसि करोति ।
२. हस्छ पं भषोनिखो ममसिकरोत्त) धनं दिद्रीमं बम्मदरा दिदि
मे च्य ठिषा, लत्विमे सदापिषा, चतम
शत्तर्त संजानासि शि था मरना श्नं संजानामि विथ सक्टोपे
दो षिङ्कि शप्पव्रधि । भनभा पलस् पष विहि होवि-भो मे भप
मत्ता बधो बहेष्यो तत्र तञ्च कङ्पाफपकनं कम्मामं निपा परि
वेदेपि सो को फल मे भप चदा भिषो गो सस्तो भनिपरिष्यम-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...