श्रीमद्भगवाद्गीता | Sreemadbhagavatdita

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Sreemadbhagavatdita by धनाश्यामदास जालान - Ghanshyamdas Jalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनुक्रणिरो १५ क विएय ११-२४ शानपटितं प्रति पुरुपकां विपय्‌ । गुणन्नयविभागयोग नामक चीदहवं अध्यायं ॥ १४॥ शामकरी भदिमा ओर अरति पुरुपसे जगती | ५-१८ सतत, रज तम तीनो युरणोका विषय । न | मगवत्‌-प्रप्तिका उपाय ओर गुणातीत पुरुषके पुरुषोत्तमयोग नामक पनदरहवा अध्याय ॥ १५ ॥ १-६. संमारदृक्षका कथन और भगव्त-प्राप्तिकाउपाय। 1 ७-११. जीवात्माका विपय | १२-१५. प्रभावसदहिंत परमेश्वरके खरूपका विपय । ! १६-२० क्षर, अक्षर, पुरुषोत्तमा विषय 1 देवासुरसंपद्धिभागयोग नामक सोरुहवां अध्याय ॥ १६॥ १-५ फरुपतित देवी जीर आघुरी सपदाका कथन । 9 { आसुरी सपदावाछोंके छक्षण और उनकी उधोगतिका फेथन ।




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