चर्चा शतक | Charcha Shatak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : चर्चा शतक  - Charcha Shatak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरजीमलजी पानीपतवाले - Harjimalji Panipatwale

Add Infomation AboutHarjimalji Panipatwale

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(४) अंक गना के प्रकार वैशिष्छ्य को समाति हर्‌ उन्होने ग्यारह भेद किए हैं । तीन लोक के कृत्रिम चेत्यालयों और शढ़ाई द्वीप के ज्योतिष मण्डल आदि का भी बर्तन किया गया है । 'आयु कमं बधकेनो मेद्‌, प्रमाद के भेद, गुखस्थानो के गमनःगमन श्रादि विष्योकोमोकविने स्पष्ट किया है सातो नके, १६ स्वग, ८४ लाख योनियां, ६३ क्म प्रकृतियां, श्राश्रव, उदय; उदीरणा श्रादि की एक तालिका सी दी हे जो कवि के श्रमनाधारण ज्ञान एवं अध्ययन की विशालता का परिचायक है | जैन भूगोल का विषय शरत्यंत विशाल है । श्राघुनिक विज्ञान के अनुसंघान से परे का सत्य जो आप परंथों श्रौर तपस्वरी मह- घियों के श्रात्मज्ञान का परिणाम है, साधारण बुद्धि का व्यक्ति यदि उमे न समम पाये तो इसमें श्राश्चयैही क्या है जब कि आज के चोटो के विद्वान भी उसकी वास्तविकता से अनभिज्ञ हैं । प्रस्तुत ग्रन्थ में पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग यथावत्‌ किया गया है जो दुरूद नहीं हे किन्तु जिन्हें जेनघमें एवं सिद्धान्त का प्रारंभिक ज्ञान भी नहीं है उनके लिए झवश्य कठिन हो सकता है । इस दुरूहता को सरल बनाने कै दृष्टिकोण से पानीपत निवासी श्रा हरजोमल कून टीका सदित यह पुस्तक प्रकाशित को जारी है । यद टीका श्रप्रकाशित थी । टीका को यह भाषा झवश्य ही आज पुरानो हो गई है किन्तु फिर भी इसमें श्राक्रषणं ब मधुरतां दै । सुन्दर संचयन, भावों की स्पष्टता, प्रश्नोत्तर का श्रषना प्रकार एवं भाषा की प्राजंजता से यह अब भी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now