कविता - कौमुदी भाग - 1 | Kavita Kaumudi
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
582
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रस के सहायक छंद भी हे । मंदाक्रान्ता, द्रतविलम्बित, शिखरिणी
और मालिनी छंद में श् जार, शांत श्रौर करुण रस अधिक मनोहर हो
जाते ह । भुजङ्क प्रयात, वंशस्थ ग्रौर शाद लविक्रीड़ित में वीर, रौद्र श्रौर
भयानक रस विशेष प्रभावोत्पादक हो जाते हं । हिन्दी छन्दो मे सवेया
श्रौर बरवे में श् जार, करुण और शांत रस; छप्पय में वीर, रोद्र श्र
भयानक रस; घनाक्ष री, दोहा, चोपाई और सोरठा में प्राय: सभी रस
उद्दीप्त होते हें । सवया श्रौर बरवें में वीररस का काव्य नीरस हो
जायगा । काव्य में विरोधी श्रौर सहायक रसों का भी ध्यान रखना
चाहिये । वीर या रौद्ररस के वर्णन में शव ज्ार, होस्य और करुण रस की
उपस्थिति से रस की सिद्धिनहींहो सक्ती । हास्यरस से श्रृङ्खाररस
वृद्धिपाता ह, पर वीभत्स, भयानक ग्रौर करुण रस से उसकी सिद्धिम
बाधा पहुंचती है । हास्यरस करुणरस का घातक है। कवि ही नहीं,
श्रच्छे वक्ता मी रसो के दात्रद्यों श्रौर मित्रों की जानकारी से श्रपने विषय
को बहुत प्रभावोत्पादक बना लेते हैं ।
भ्रागे के कोष्ठक में यह विषय श्रधिक स्पष्ट कर दिया जाता है--
संख्या रस. रस के मित्र रस के शत्रू
१ ण्रद्धार, हास्य, अद्भूत । करणि, वीभत्स, रौद्र, वीर, भयानक ।
२ हास्य, श्यद्कार+ग्रदभूत । भयानके, करुण, वीर ।
३ श्रदूभुत, भयानक । रौद्र ।
४ दांत, करुण । वीर, श्यृद्खार, रौद्र, हास्य, भयानक ।
५ रौद्र, भयानक । हास्य, शव जार, श्रद्भृत।
६ वीर, रोद्र। शांत, श्व ज्ार ।
७ करुण, दांत । हास्य, शङ्कार)
८ भयानकः, श्रद्भुत,रोद्र,वीर। शृद्खार, हास्य, शांत
९ वीभत्स । ~+ शृङ्गार ।
कवि कौन दहं ? कवि सृष्टि के सौन्दये का ममंज्ञ है । वह एक ऐसा
यन्त्र ह; जिसके द्वारा सृष्टि का सौन्दयं देखा जाता ह । कवि सौन्दयं
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