घरघोणी | Gharghoni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२९ फिटकरी--यह पानी में गल जाती है स्वाद में यह खटमीक्ष : और तूरी होती है । वह रंग को पक्का कर देती है। इस से मेला पानी स्रच्छ होता है । इस को अकेली अथवा सोहागे के साथ कलफ में डाली हो तो कपडे के रंग में चमक आती है, ओर कल्फ पतला --हो जाता है और कपड़े के ऊपर बराबर सब जगह फेल जाता है । अपान ( अंमोनिया ) इस में क्षार का गुण है यह जाति से चायु है । परंतु इस का प्रवाही भी मिख्ता है । अपान ( अंमोनिया ) ' के पानी में दसरा सादा पानी मिछाकर जो इसे कमजोर या फीका - कनाया जाय तो इस का जसा चाहिये वेसा असर नहीं होता इस पानी को यदि गरम किया जाय तो अपान वायु उड नाती है। यह कार मंहगा पडता है परत इस से कपड़ों को किसी मी प्रकार का नुकसान नहीं होता हे । सोहागा-इस के इले तथा न्नर्णं मिते हँ इप क्षार का असर्‌ - भी अपान के समान मद होता हे । अर्थात्‌ इस से कपड को नुकसान - नही हेता । घने का खारा अथवा सोडाखार, ऊप अथवा स्नीखार - यह क्षार बहुत तेज है । यह पानी में गल जाता है और कपडें ` पर :इस का असर होता ६ और इस ही छिये रंगीन कपडे धोने के वास्ते यह क्षार निकम्मा है । ऊन के कपडे इस से सख्त हा जति है ओर ¦ परिचित. पीठे पड जातें हैं । तो भी गंदे और मेले कपड़ों को इस के . पानी में भीगो रखने के ठिए यह क्षार बहुत उपयोगी है । खारा भारी पानी को हल्का करता हे । चिकनाहट को यह गला देता हे और धूल और मेल पर इस का असर होता । साबुन बनाने में यही प्काम में आता है ।




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