मानवता तथा मानतावाद | Manavata Tatha Manavatavad

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Manavata Tatha Manavatavad by ब्रज भूषण शर्मा - Braj Bhushan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-परवर्तन : 15 इस श्रकार की भाववा को लेनिन ने “श्रमिक सस्कृ्ति' का नाम देते हुए लिखा है, “मनुष्य जाति ने पूँजीवादी सामन्ती समाज श्रौर नोकरशाही समाज का भार वहन करके ज्ञान की जी राशि लगायी है, श्रमिक सस्कृति उसके स्वाभाविक विकास वा परिणाम हौ होमो । ये तमाम मागे श्रौर पय शर्मिक- मस्कृति' दो भ्रौर वदते जा रहर उषी तरह जिस तर मारकहंद्वाराकिर्ते यास्या धिय ये राजनीतिक अर्थशास्त्र ते हम यह दिखा दिया है कि कौन-सा मानव समान उस तक पहुचया धघ्ौर जिसन हमें वर्गे-युद्ध से लेकर धमिक-कान्ति तक के प्रारम्भ तक रा माप दिखाया ९ 2 वास्तव मे साक्स दे सभी युगीन सन्दर्भो की पुन न्याख्या की है, बहू मानवीय स्वतन्वा का वहत महत्त्वपूर्ण मानता है श्र पूंजीवाद को उसका श्रू मानता दै। मावर करौ मानववादी विचारधारा ने मवसे पहने सव कृ बदल देने पर जोर दिया प्मौर उसने बताया कि मानव कन्याण कै लिए ऐसी सामाजिक श्रौर ग्राथिक व्यवस्था चाहिए जिसम व्यक्ति और समाज दोनो का ही पूर्ण विशास हो । लिन वी श्रमिक-सस्ट्ति भी यही मानती दै! माकं ऐस जनतन्त्र की कल्पना वरता है जो वर्गहीन होने के साथ ही राज्यहीन भी हो। उक्षा स्वहा वगं क मधपं म, ओ एक श्रमानवीय समाजस लड रहा धा मानवता की भक्ति कोदेा । वहं वतंमान समाज से सन्तुष्ट नहौ था, गमा्क्स ने ब्त मान समाज को एक अमानवीय संसार माना । उसे दृढ विश्वास है वि यह केवल मानव हो है जो अत मे देव तुल्य पूज्य होगा और श्रपने प्रप्तिस्व वै पूर्णं सत्थ को पुन प्राप्ते करेगा ) मावत का सानववाद एक नास्तिक मानचवाद्‌ है जिसमे बौद्धिक युग के मानव विकास का मानववाद श्रपनी पूर्णता को प्राप्त करेगा 12 प एपातेला छिए प्राएश्तैणड! प्राण. लला दा 15 चिट 50810 ० पटल जा पद ड्राच्य, 9दपा 0. हैणणड(£ ०, 0. 16 (णाएणप्रााडई 50०5४ त कत्, ताशव एदा 1 १०१ स्णणडाठटलप्ठे 50 इण्लवा पाशः नउपटागइधणा छिफटुफल०086018 0 5०0 ऽतला०८५, #० ॐअ उदब्लड्त रणा.5 #ण 1 ए 470-71, (०5०) *. दा फिणपाइ त्ाल एठा इन्दा 2 तलप्याऽ6ते फणापे कवभ 15 प्ल धोद प 15 पाथा फाताहला पणेत 19 {1६ हप स्पा ए€ वीत्‌ ०१ १९६०४६६ © प्ल सि पणौ 0 5 €ऽऽता८्ट गाप 15 व [पाकाय ढा उला51८ [एााकापला प पनात गह साौत्णृरल््रत [णाता 0 116 7411012 11915 (लााणा८ऽ एलवलेप्ट5 115 लि उच्छ।5वतिएा ., --1ालपप०य3) हरन०ा३९५१० ०१ 5०631 इटाटाच्वन--४०




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