न्यायदर्शनम् | Nayayadarshanam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
574
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्यायसूचीनिवन्घध: | पे
उदाहरणपेक्षस्तयेत्युपसंहारो न तथति वा साध्वस्योपनवः॥७॥
हेत्वपदेशात् परतिह्ञायाः पुनवचनं (नगमनम् ॥ ८ ॥ इत्यष्टाभिः
मुत्र न्यायभक्ररणपू ॥ & ५
अविज्ञाततत्त्वे 5र्थे कार णाप पत्तितस्तसत्ज्ञा ना थमू हस्तकं 2 ॥ रै॥।
विमृद्य पक्षप्रतिपक्षाभ्यापयावप्रारणं निर्भवः॥२॥.
इति द्राभ्यां मूतराभ्यां न्यायात्तरङ्गलक्षणपक्ररणम् | ७ ॥
इत्यकचत्वा रिंदाता ४१ खन्रे: सप्त मिः प्रकरण: 3
प्रयमाध्यायस्थ प्रथममाहिक समाप्तम् ॥
~ ईशा
अथ द्विनीयमादहिकम् |
पमाणतकसाधनोगालम्भः सिद्धान्तागिरुद्धः पश्चावयत्रों-
पपन्नः पक्षप्रातिपक्षपरिग्रहो वादः ॥ १। यथाक्तापपमनदछरजा-
तिनिग्रहस्थानषाधनापालम्भाो जल्पः ॥ २॥ पष परतिपक्तस्था-
नपनाहीनां वितण्डा ॥ ३ ॥
इति त्रिभिः सूत्रैः कथालक्तणप्रकरणम् ॥ १ ॥
सव्यमिचारतिरुद्धपकरणसममाध्यसपकालातीता देत्दा-
भाषाः ॥ १ ॥ अनकान्तिकः सव्यभिचारः ॥ २ ॥ सिद्धान्त
पभ्युवत्य वद्विराधरा रिरूद्धः ॥ ३॥ यस्मात् भकारणनचेन्ता
स निणयायंमपादिष्टः प्रकरणसपः ॥४॥ साध्यादिशिष्टश्च
साध्यत्वात् साध्यद्ठपः ॥ ५ ॥ काल[त्पयापरिष्र: काछाती-
त; ॥ 2 ॥ 4 ।
इति षटाभिः सतरः हेत्वामाषलक्तणपकरणम् ॥ २ ॥
व चनाक्षधातोऽयेतरिकल्पोपपश्या छलम् ॥ २ ॥ ततर् जिनिषं
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