कविता - कौमुदी | Kavita Kaumudi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
582
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४ )
के इतने गोले मारे कि बंटादार कर दिया, जोर सिफारिश
नै भी सबही छकाया । व
परित बासङ्ष्णा भष, , ,
शद को आकर्षण. शक्तिं न्यूटम कौ माकषण शक्ति से
-खउवभात भी कम सटी कटी जा सकती । बल्कि शेध की
“श्स शक्ति को न्यूटन की आकषंण .शक्ति' से विशेष कहना
चाहिये । इस लिये कि जिल आकषण _ शक्ति को, न्यूटन ने
कट किया वह केवल प्रत्यक्ष मेँ काम दे सकती है ।.
परिडत भरावीरभसाद द्विवेदी ५
उनके कथन का अवतरण देकर मल़िनाथ ने ,ज़न्हें -फट-
कार यता है और लिखा है कि प्रसंग भी देखते हो या मन-
मानी हाँकते हो । तुम्हें इस प्रयाग को सही साबित ही
करनां है तो पाणिनि-व्याकंरण के पीछे' न॑ ` पडकर ओर
व्याकरण देखो । ( किराताजनीयः )
अनाजं महंगा होने से किसनों दी प॑ंरआफतं नदी अती
किन्तु मेहनत मज़दूरी करने वाले ओर लोगों पर _भी आती
है, यंही नहीं, संभीं लोगीं पर उसका असर पड़ता है ।
( सम्पत्ति शाख ) च
दे बाबु श्यामसुन्दर दसि ` =
दस गय की उत्पत्ति. से यह तात्पयं नदीं है क्रि -पटले
ग्य थारी न्ी;-किसीन किसीसर्पसेथा। नदौ तो च्चा
खोग पद्य मे.बातचीत करते थे ? गय _.बोलचाल में अवृष्य
थाः पर, भिन्न भिन्च प्रान्तों गौर स्थानों, में भिन्न, भिन्न रूप... में
था 1 जिने टम आजकं वोचियो. का नाम - देते; हैं, जैसे
मागर के निकट ब्रजमाषा,बोली;जाती है. 1. , ` = भा
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