कीमती आँसू | Keemati Aansu

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Keemati Aansu by रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर - Ramkrishna Raghunath Khadilkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दी उसकी शादी एक अमीर लड़के से कर दी थी । लता अपने पड़ोस में रहने वाले एक तेजस्वी युवक को चाहने लगी थी पर विवाह के समय उसकी इतनी हिम्मत न हो सकी कि वह अपने प्रेम की बात ्रपने माता-पिता से कह देती । सीधघीसादी गाय की तरह उसके गले का पगहा उस अमीर के घर के खेंटे में बाँध दिया गया । च्रमीर होने पर भी उसका पति तरुराज बड़ा ही श्रच्छा आदमी था । खुद लेखक श्रौर कवि था | वह सिफे शारीरिक वासनाओ की पूर्ति के लिए ही पत्नी न चाहता था ! वह्‌ एक मित्र चाहता था , प्रशसक चाहता था ; उसके हृदय से, मन से, श्रात्मा से श्रपना हृदय, मन श्रौर श्रात्मा मिलानेवाली संगिनी चाहता था । लता यह काम न कर सकी । जिन कागजों पर तसराज की कविताएँ छपती थीं उनका मूल्य लता के लिए पुड़िया वाँधने के कागजों से अधिक न था। मतलव यह कि लता तरुराज की चौद्धिक श्रावश्यकताओओं की पूर्ति न कर सकी । तरु- राज शिक्षित युवतियों से मिलने जुलने लगा । इस सपक का अवश्य- म्मावी फल प्रेम पैदा हो गया श्रौर उसने लता क रहते एक शिकिता से दूसरी शादी कर ली । ऐसी हालत में लता को उस घर में रहना झसह्य हो गया । वद्द घर के बाहर निकल पड़ी । पर उसे ठौर ठिकाना कहाँ ! माता-पिता उसकी शादी के बाद कहीं तीथें के लिए, चले गये थे । कुछ समय के लिए. वहएक अनाथाधम मँ उहर गयी और उसने कुमारी मुक्ता को पत्र लिखकर पूछा कि कया मैं आपके पास चली आऊे । यह चिट्ठी उसकी थी । पढ लेने के वाद मने उसे मोडकर टेबल पर एक तरफ रख दिया आर फिर पुरुषों को दी जाने वाली गालियाँ सुननेके लिए धै्यपूर्वक प्रतीक्षा करने लगा । कुमारी सुक्ता ने कह्दा--“'देखा आपने, इस समय यदि लता आर्थिक दृष्टि से खतंत्र होती तो उसे इस तरह दरदर भीख माँगने श्रौर टुकराये जने की नौवत न आती ।> लता, मुक्ता और पृथ्वी १९




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