कीमती आँसू | Keemati Aansu
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर - Ramkrishna Raghunath Khadilkar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दी उसकी शादी एक अमीर लड़के से कर दी थी । लता अपने पड़ोस
में रहने वाले एक तेजस्वी युवक को चाहने लगी थी पर विवाह के
समय उसकी इतनी हिम्मत न हो सकी कि वह अपने प्रेम की बात
्रपने माता-पिता से कह देती । सीधघीसादी गाय की तरह उसके गले
का पगहा उस अमीर के घर के खेंटे में बाँध दिया गया । च्रमीर होने
पर भी उसका पति तरुराज बड़ा ही श्रच्छा आदमी था । खुद लेखक
श्रौर कवि था | वह सिफे शारीरिक वासनाओ की पूर्ति के लिए ही
पत्नी न चाहता था ! वह् एक मित्र चाहता था , प्रशसक चाहता था ;
उसके हृदय से, मन से, श्रात्मा से श्रपना हृदय, मन श्रौर श्रात्मा
मिलानेवाली संगिनी चाहता था । लता यह काम न कर सकी । जिन
कागजों पर तसराज की कविताएँ छपती थीं उनका मूल्य लता के
लिए पुड़िया वाँधने के कागजों से अधिक न था। मतलव यह कि
लता तरुराज की चौद्धिक श्रावश्यकताओओं की पूर्ति न कर सकी । तरु-
राज शिक्षित युवतियों से मिलने जुलने लगा । इस सपक का अवश्य-
म्मावी फल प्रेम पैदा हो गया श्रौर उसने लता क रहते एक शिकिता
से दूसरी शादी कर ली । ऐसी हालत में लता को उस घर में रहना
झसह्य हो गया । वद्द घर के बाहर निकल पड़ी । पर उसे ठौर ठिकाना
कहाँ ! माता-पिता उसकी शादी के बाद कहीं तीथें के लिए, चले गये थे ।
कुछ समय के लिए. वहएक अनाथाधम मँ उहर गयी और उसने कुमारी
मुक्ता को पत्र लिखकर पूछा कि कया मैं आपके पास चली आऊे ।
यह चिट्ठी उसकी थी । पढ लेने के वाद मने उसे मोडकर टेबल
पर एक तरफ रख दिया आर फिर पुरुषों को दी जाने वाली गालियाँ
सुननेके लिए धै्यपूर्वक प्रतीक्षा करने लगा ।
कुमारी सुक्ता ने कह्दा--“'देखा आपने, इस समय यदि लता
आर्थिक दृष्टि से खतंत्र होती तो उसे इस तरह दरदर भीख माँगने श्रौर
टुकराये जने की नौवत न आती ।>
लता, मुक्ता और पृथ्वी १९
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