सज्जाद सुम्बुल | Sajjad Sumbul
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
135
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० ,, सच्नाद सुग्लुत्त ।
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रस्नाद-- (सके) जो नरी, कुख्र हुआ, कुसूर त्रा, सुश्राफ
वोडिये, चाएका सेशे कटम--
[पीछे पौछे सब्नादका सी प्रस्थान]
तीसरी स्क्छी)
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विद्र, खानक. गमभेरवह्ादुरव्ता सकान ।
पशुमशेरवहादर चारपाई पर साधे.लिद्ाफ ताने
सटक सडसड़ा रे हैं, चोर एक नौकर पांव
टद रद्ध है--साथ सेड सोचा विये
अन्बार सास्मै खडः ई
पम ०-अवै इस पांवक्ता दावः इस पावका! बच्रा क्या!
जारसे रे जारसे। आज भरपेट खाया है कि नहीं ? अद हा हा
चरासजादेने सारौ जानल, ज्ञा छमारो (जान । (उल दै
सौकरका एफ तसाचा जडके) समर इशामजादा टे वरसद हमार
य्ीं कास कर रहा है; असीतक हरासीके पिशेने पांव दावना सहीं
सौदा डे! (नौकर शंस् पोरुता है)-हां हां वछों वच्दीं । जरा
और जारसे। (बौच बौचमें सटक सड़सड़ाता जाता है |) आंख
बन्द करवों) हां देख ते रेकी, सव तेसा मौना वटं दया । चराः
(कुछ देरवी वाद) क्यों रे, वादिसनी बुढ़िया अंवेर गड् १
वौकर--्रीकौ जाये बड़ा दंड इरा, सडक्राड ।
अब्दाल--सुकको क्या इदस सोता हे ९ मुक्षे क्या कलशौ चला
जाना पड़ेगां । है |
पसर दां, कल सुय नरके तडके तुम यद्धांरे चसे जो ।
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तुदं मालत मैंने अपने पाससे खिला पिला पीस पालक इतना
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