जेल के वे दिन | Jel Ke Ve Din
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
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No Information available about विजयालक्ष्मी पंडित -Vijayalaxmi Pandit
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ अगस्त १९४२
भै चौककर सोतेसे उट पङ्ी । खिच दवाकर रोशनी
की । बन्दा मेरी चारपारैके पास खड़ा था उसने कटा
कि पुलिस आयी है और आपसे मिलना चाहती है । उस
वक्त रातके दो बजे थे । कल २४ घण्टेकी घटनाएँ मेरे
दिमागमें उलझी पड़ी थीं। छात्रोंके जुत्दूस पर जो गोल्याँ
यलायी गर्यी थीं वे उस वक्त भी मेरे कानों में भूज रही
थीं। मेरी आँखोक सामने उन लोगोंके चेदरे नाव रहे थे
जिन्हें उठा कर मैंने अस्पताल पहुँचाया था । मेरा मन
सौर शारीर थक कर चूर-चूर हो रद्दा था और मैं परी
कान थी।
लड़कियाँ चरामदेमें सो रही थीं । उनकी नींदमें बाधा
देना मैंने उचित नहीं समझा । कल दिनके कठिन परि-
ध्रमसे थककर तारा आर लेखाने चारपाइकी दारण ली
थी । उन्होंने जो रखद्यदेखा था उसे जब्दी स्मति-ष्टसे
थोया नहीं जा सकता था । के स्तन्ध और स्तिन्न थीं ।
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