परवर्ती गद्य - काव्यों का समीक्षात्मक अध्ययन | Paravarti Gadya - Kavyon Ka Samixatmak Adhyayan

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Paravarti Gadya - Kavyon Ka Samixatmak Adhyayan  by मीना श्रीवास्तव - Meena Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ही बाग देता है जॉर जो' गुत्ित है उसके रपनपियाँणि में यौग दैता है । य कनदु पारा रात्य सैलिशपशिक शोर बेला निक के एल रै भिन्न होता है | बजानिक वीर रैसिहासिज् सानवन्दूदर को भावनाएं को उपदातत रुप कमो लो ननम बातों को स्के दमश्च दय ग मष्ट नचा दे हद पाए पीट ष श्रद्‌ : पी स्थाः प्रभाव कुमा | शं कधि रञ प्रतिपाधन सौ करता है किस्तु पते सेलानिक कार रेतिष्टाशिशेकेषटु र वः भाति काशय नहीं रहने देता है अधितु काव्यन्करूना के मनोहर सी रे फो मधुर स्व ग्राहय चना दैत है | तात्पर्य यह किः कयव्य~सल्य वह राकथ हो सिपक स्ेन्दर् सत्य के गगथ सशिन्काचन संयोग छीता ह 1 काव्य का यष्टी सदये तत्व दतस्यदर ययल बाण्यानन्व कन आधारम रहै नति है } शः वष्णतं वनव्य ध्न सत्य -विश्ान्‌ अभव नहर दे! ध सु पयत्नशौक न होता | काब्न के प्रयाजन हम हशमें कोई मी सम्दैह नहां कर




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