छात्रो, उठो ! जागो ! ! | Chhatro, Utho! Jago!!

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Chhatro, Utho! Jago!! by भारतीनन्दन - Bharatinandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'४१--दुबंलताएंँ कैसे टूर हों ? ४२--उद्धार कामा ४३--सोचो, समो श्रौर करो ४४--चिनगारी जगाद्रए ४५--गुरप्रो की खोज कीजिए ४६--गूरग्रो के पास जाइए ४७-गुरु कौन है ? ४८--गुरु बनाइए ४६--गुरु की सेवा कीजिए प०--गुरुसेवा से लाभ ५१--योग्य गुरु के लक्षण ५२--योग्य शिष्य के लक्षण ५३--अ्रन्तेवासी बनिए ५४--कितने गुर बना ५५--गुर सेवा के लिए समय नहीं ५६--गुरुसे.श्रागे बदिये ५७--स्वास्थ्य जीवन का श्राधार है ५८--स्वास्थ्य के साधन ५९--भोजन केसा हौ ६०--व्यायाम कितना करे ६१--खेल श्रौर शिक्षा ६२--निद्रा देवी का प्रसाद ६३--प्रचतता की धूपमें ६४--सच्चरित्रता स्वास्थ्य क्रा तेज है ६५--त्रह्यचयं की महिमा ६६--त्रह्मचयं के लक्षण १३ ६४ ६६ ६७ ६८ ७१ ७२ ७३ ७४ ७१ ७७ ७८ ५ ७ ₹ प्र ८३ ए पर ८ ८७ ¬ ८९ ९० ६१ हर हद




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