भारत में सामाजिक कल्याण और सुरक्षा | Bharat Men Samajik Kalyan Aur Suraksha

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Bharat Men Samajik Kalyan Aur Suraksha by रघुराज गुप्त - Raghuraj Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कृत्य, अपराध से समाज की हानि, अच्छे सामाजिक जीवन के लिए अपराध का उन्मूलन आवश्यक; अपराध के कारण : १. मानवशास्त्रीय (.4111111010010. 21084) व्याख्या, लोम्ब्रोजो का सिद्धांत, भारतीय सामुद्रिकशास्त्र, समालोचना: अपराध किसौ विशिष्ट शारीरिक अवस्था का परिणाम नहीं; २. आर्थिक वाता- वरणः की व्याख्या, अपूणं पर उपयोगी; समाजशास्त्रीय अन्वेषणों के परिणाम : (क) बच्चो कौ उपेक्षा इत्यादि, (ख) भृखमरी, (ग) प्रलोभन, (ष) व्यभिचार ' (8९१९ 46110181188.1010}, (ङ) मद्यपान, मद्यपान की आदत, तशा ओर आक्रमणात्मक अपराध, (च) संस्कृति का अभाव, (छ) युद्ध; ३. भौतिक वातावरण, भौतिक वातावरण का प्रत्यक्ष प्रभाव नही, ४. प्राणिक- समाजशास्त्रीय व्याख्या : समालोचना : केवल अपराध तके सीमित नहीं, समान वातावरण की कल्पना भ्रात, अपराध शारीरिक या मानसिक विकार का परिणाम नहीं, एक उदाहरण, समस्त मानव गण अपराध के प्रेरक और निवारक, जन्मजात गण अपराध से असम्बद्ध, ५. अध्यात्मवादी व्याख्या, समालोचना : अधामिक्ना और अपराधों में कार्य-कारण का संबंध नहीं, अधामिकता अपराध का कारण नहीं, अधार्मिको में कम अपराध, धमं नैतिकता का पर्याय नहीं, विशुद्ध नैतिकता दण्ड के भय से मुक्त, अपराध और दण्ड का इतिहास : समाज में कानून की आवश्यकता, आदिकालीन दण्ड-व्यवस्था, मध्यकालीन व्यवस्था, आधुनिक प्रवृत्तियां; भारतीय दण्ड और कानून का इतिहास; भारत में अपराध : भारत में अपराध पर विशिष्ट सांस्कृतिक प्रभाव: सामाजिक अवस्था का प्रभाव; आर्थिक अवस्था का प्रभाव; प्रथाओं का प्रभाव; पंचायत का प्रभाव; न्यायालय का प्रभाव; भारत की अप- राधी जातियां और कबीले; अपराधी जातियों में अपराध के कारण; या नस्ली दारीरिक कारणों का अभाव, आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण, जातिधमं; अपराधी जातियों के कुकृत्यों के नियंत्रण के प्रयत्न; नियंत्रण के लिए विशेष कानून और व्यवस्था की आवश्यकता, अपराधी जाति-कानून, अपराधी कानून की मुख्य धाराएं, सेटिलमेंटों की स्थापना का प्रस्ताव; और काय सुधार के प्रयत्न : सेटिलमेंट और कालनियों की स्थापना; अपराधी जाति-कानून में संशोधन और उसका रद होना, १९४७ की उ० प्र० अपराधी जाति जांच-समिति की सिफारिशें, अपराधी जाति कानून की हानियां और रददगी; किशोर अपराध (वप्ष्लणा]6 [लात्वपलणल्फ्‌ ); किशोर अपराध के कारणः वातावरण से संबंधित ओर व्यक्तिगत, प्रमुख कारण बुरा वातावरण ; किशोर अपरा- धियो के शुरू में ही सुधार कौ आवश्यकता : संरक्षण, पृथक्करण और समुचित दिक्षा; किशोर कानून, किशोर अपराधियों के लिए पृथक्‌ व्यवस्था की आवश्यकता;




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