अंकगणित | Ankganit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
678
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र अह्वमयिव
४1. किसी राशि की माप दा साख्यमान वर सध्या होती दै जो यद
प्रकट करतो है कि उस राशि में इकाई बितनी वार सम्मिलित है 1
जसे, यदि हम एक गज की लम्बाई को इकाई मानं श्रौर कसी
लम्बाई को ५ गज करे तो सर्पा पंच उस लम्बाई की माप वा साश्य-
मान है ।
सूचना--किसी राशि के साख्यमान से उसका सापेक्ष परिमाण प्रकट
होता दै। किती राशि का निरपेक्ष परिमाण उसके सारयमान और
इकाई से मिलकर लात होता दै \
४1 कसी सण्या को “अ्नवच्छिन' सख्या तब्र कहते है, जब उसका
सम्बन्ध कसी विशेष इकाई के साथ न हो ।.
जैसे, चार, पाँच, सात ।
६। किसी समस्या की “भ्रवच्ठिन्न' सख्या तब कहते है, जब उसका
सम्बन्ध किसी विशेष इकाई के साथ हो ।
जैस, चार घोडे, पाँच मनुष्य, सात गज ।
७। अड्गणित उस विद्या का एक भाग है, जो सख्याओं का प्रयोग
सिखलाती है ।
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दूसरा अध्याय
संख्याद्यीं को अड्डों द्वारा प्रकट करने की रीति
८। श्रड्भगणित में सब संख्या दस चिह् है, रे, ३, ४, ४, ६, ५, ८५९०
द्वारा प्रकाशित की जाती है जो शर्ट कहलाते हे ।
इन चिद्ठों में हे प्रथम के नी चिह्ठों को सख्या-ज्ञापक अड्ड शरीर न्त
के चिद्ध वो शल्प कहते है । ॥
1 एक से लेकर नौतकक्यो सस्या करम
प्रकार प्रकाशित की जाती है--
पक दो तीन चार पाच द साद आटे सी
१ ९ ३ ४ ५ ६
सेनौ श्रड्ढो द्वारा इस
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