प्रबोध चंद्रोदय एवं संकल्प सूर्योदय नाटकों का तुलनात्मक अध्ययन | Prabodh Chandrodaya Evam Sankalp Suryodaya Natakon Ka Tulnatmak Adhyyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prabodh Chandrodaya Evam Sankalp Suryodaya Natakon Ka Tulnatmak Adhyyan by नमिता अग्रवाल -Namita Agrawal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नमिता अग्रवाल -Namita Agrawal

Add Infomation AboutNamita Agrawal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
9 रस के प्रसंग में लडाई, मन्त्रण तथा आक्रमण आदि विषयों का भी सांगोँपांग वर्णन रहता है | 8) नायक तथा प्रतिनायक का संघर्ष महाकाव्य का मुख्य विषय होता है| (9) अन्तिम उदेश्य होता हे धर्म तथा न्याय की विजय तथा अधर्म तथा अन्याय का विनाश | इस प्रकार दण्डी कं अनुसार महाकव्य मं अग्निपुराण वर्णित विशेषताओं के अतिरिक्त कुछ अन्य विशेषताएँ भी अपेक्षित हैं । जैसे आरम्भ मेँ आशीर्वचन, नमस्कृति अथवा वस्तुनिदंश तथा कल्पान्तस्थलीं कीर्तिं का वैभव आदि, अतः दण्डी की दृष्टि महाकाव्य के विस्तार-मात्र पर न रहकर उसकी उदात्त ओर व्यापक जीवनोपयोगिता ओर विश्वजनीन महत्ता पर विशेष रूप से केन्द्रित रही हे । महाकाव्य कें लोकरजकत्व पर उन्होने बल दिया है] आरस्भिक मंगलाचरण विधान में सांस्कृतिक परम्पराओं के निवार्ह की लोक कल्याणकारी प्रवृत्ति विद्यमान हे | खण्डकाव्य खण्ड काव्य मात्रा मे महाकाव्य सरे छोटा हो परन्तु गुणौ मँ उससे कथमणि न्यून न हो -खण्डकाव्य' कहलाता हे । यह महाकाव्य का टुकड़ा न होकर, स्वयं पूर्ण तथा स्वतन्त्र होता हे | प्रबन्ध काव्य का आघार कोई निश्चित कथानकं होता है एवं उसके छन्दो मे पूर्वापर सम्बन्ध रहता हे । प्रबन्ध काव्य को भी दों भागों में विभक्त किया गया हे- (1) महाकाव्य (2) खण्ड काव्य आर्याय विश्वनाथ के अनुसार“ खण्डकाव्यं भवेत्‌ काव्यस्य एकदेशानुसारि च” अर्थात खण्ड काव्य का एकदेशीय रूप होता हँ । महाकाव्य विषय प्रधान होता हे, परन्तु खण्ड काव्य मुख्यतया विषयी -प्रधान होता हे । जिसमे. लेखक कथानकं कं रथूल संचि मँ अपने वैयक्तिक विचायं को प्रसंगानुसार वर्णन करता है| यथा मेघदूत खण्डकाव्य का एक सुन्दर दृष्टान्त हे । इसमें प्रकृति का वर्णन विशेष रूप से सुन्दर तथा भव्य हे । इसमं बाह्य प्रकृति के सौन्दर्य तथा कमनीयता का उज्जवल प्रदर्शन हे ओर साथ ही साथ मानव हृदय के कोमल भावों का भी बड़ा ही रूचिकर प्रयोग किया गया हैं |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now