हिन्दी नवजीवन | Hindi Navjeevan

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Hindi Navjeevan  by मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मु हिणौ भगौ तौ, ९६ शर्त ११११ ह्ञान-षश्च एेसा फहते ह भौर अपने मित्रों के भी सामने मेरी सफाई कीजिए । | हमारे धम्मे-कशाख हमं यह उपदेश फे र कि अप- ने पाणो की आहुति देकर भो अन्याय का सामना करना चाहिए । मेर पूण पिताजीने, स्वयै अपने चरित के द्वारा, मुसे यही शिक्षा दी है। छोग साहस-सम्पन्न हों तो इससे देश की हानि नहीं होंगी । आप के राज्यों के विषय में अनेक लेख मेरे पास आये हैं । कितनी ही शिकायतें मैंने जवानी भी सुनी हैं। परन्तु अबतक मैंने उनका कुछ भी अंश मकाशित करना उचित न समझा। मैं यही आशा किये रहा कि अन्तकों सब नरह शान्ति हो जायगी, और अब भी मेरा यहीं खयाल है । बड़े साम्राज्य को स्वेर्छाचारिता जहां एक धार नष्ट हुई कि छोटे छोटे राज्यों की मनमानी भी उसके साथ बन्द हो जायगी । आत्म-शुद्धि ऐसी वस्तु है जिस की जड़ जमने के छिए कुछ समय द्रकार होता है। परन्तु नह के लग जाने पर उसके फैलने में फिर विलम्ब नहीं रुगना। पर, अब तो में सुनता हूं कि कोई कोई राज्य चरखे रा उपदास करते हैं, कोई उसे एक रोग समझकर मि- टाने की इच्छा रखते हैं, कोई ' स्वदेशी ' जैसे शाखत आन्दोलन को रोकने के लिए लोगों को अनुचित रीति से दबाते हैं, कोई खादी पहनने के खिलाफ उठ खडे होते हैं और खादी की टोपी पहनने को ' जुर्प ? मानते हैं । इन शातों पर विश्वास करते हुए मुझे क्षोभ होता है। परन्तु मेरे पास इसके इतने प्रमाण मौजूद हैं कि ये बातें झूठ नहीं हो सकतीं । यह निश्चय जानिए कि यदि राजा-महाराजा मदद करें तो चरवोँ और कर्षों के द्वारा काठियावाडमें पहजेसे भी अधिक जीवन भा नाय । शटियावाड फी आबादी छष्दीस लाख गिनी जाती है । वहां पांच लाख चर्खे आसानीसे -वर सकते ई । इससे प्रति वर्षं कमपे कम साहे सात लाख रुपया आमदनी हो सकती है । यदि काठियावाड की बहनें केवल आदी महीने भजन गाते हुए चर्खा कातें तो हर साल साट लाख रुपये पैदा कर सकती द । इसके लिए आपको एक पाई भी खर्च न करना पढ़े । ऐसे आसान उपायमे यदि काठियावादके कोग धन कमाने तो क्या आप उनका धिकार कम? क्या उनका मजाफ उडावेगें ? > है खादीकी-प्रतिष्ठा करेंगे । दरवारी पोशाक, भी खादीके हों और आप स्वयं भी अपनी पजाको बनारं खादी पद न कर भूषित हों । | काठियाबाद़की मजा तो भूखों मरे और मैंदेस्टरके अथवा जापानके रोग आप के धन पर चैन उड़ा, यह राज-~न्याय नदीं । आपके शाङवेता रोग आपकोःयद्‌ बात समझावेंगें । यदि आप मलपल चाहते हतो अस्छो सदु की पेदाबार करादए, महीन चूत कातने गौर कपट बुनने वालोंको उत्साहित कीजिए । काठियावाडके पहाड़ों में रहने वाछे राजाओंकों आमोद-पममोद की क्या आवश्यकता ? कु्ोंकी टोलिया वे अपने पास किसलिए रक्‍्खें? थे तो प्रजाके लिए अपने प्राण दे । पजा कै दुश्ख से दुखी हों और प्रजाको खिलाकर आप खाद । राजा बनिया और ज़ाह्यण वहु रूपिया हो जाय लो घर्मे की दिक्षा कौन दे और रक्षा कोन करे ? मैं यह नहीं चाहता कि काठियाबाड के लोग आप के राज्यों रहते हुए अँगरेजी राज्य के खिलाफ आन्दोखन करे ओौर आपकी स्वितिको नाजुक अनये । आपकी नाजुक स्थिति मेरे ध्यानमें है । आपके पति मेरी सहानुभूति है । आपकी प्रजा भछे ही अ-सदयोगी नहीं, परन्तु मैं जाप से नम्रता-पुर्वक अनुरोध फरता हूँ कि आप स्वदेसीको अपना एक मिस्र विभाग समधिए और प्रजाको सहायता देकर स्वतेत्रता-पूवेक उसका उत्कषे फीजिए । और भी एक निवेदन करूं ? काठियाबारर्म क्ष. रावकी दुकानोंका होना किस तरह सहन हो सकता है ? आपको भी शराबके द्वारा कुछ आमदनी करनेकी आव- श्यकता है? जबकि खुद प्रजादी शरावखोरी छोड़ने के लिए प्रयरन कर रही है तब मैं तो आपके दरबारसे भी शराब की बोतलों के वहिप्कार की आशा रखता हूं । जब कि श्री रामचन्द्रने एक धोषीकी बात सुन कर सती सीताका त्याग कर दिया तब अपनी मजाक इच्छ को जानं करं क्या आप घरावकों काठियावाइसे नहीं निकाल सकते ! और आपकी देनोंमें अन्त्यजों के छिए अछग गाड़ियां हों, उन्हें टिकट मिलने में कठिनाई हो, वे पके खाये, यह भी किस तरह सहन हो सकता है? लोगों को एकत्र करके आप उनके साथ विचार कीजिए और उन्हें समझाइपए कि भट्टी समारों के साथ जो दुष्वदहार होरा ई वह दथा-षम नहीं । वह तो अत्याचार १। आप से नो में यद आशा करता हू कि आप अपने | इस तरह आप उन वेचारों को सुखी कीजिए और. दारवारमें भी खादीकी-दीन-हीन लोगों की बनी हुई । उनके दिशते निकमे शी दूभा लीजिए |




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