दंश | Dansh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मानवीय संवेदनाओं का जीवन्त उपन्यास “दंश”
छ डॉ. सरला अग्रवात 0
सुविख्यात कवयित्री एव कथाकार श्रीमत्ती शीला व्यास विगत तीन
दशको से साहित्य सृजन में साधनारत हैं । उनके दो काव्य संगह 'अनुमूति
के स्वर, इन्द्रधनुष के पार' तथा एक कहानी संग्रह 'माटी की गध प्रकाशित
हो चुके हैं, जिन्हे राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा अनुदान भी
प्राप्त हुआ है। 'दश' उनकी चौथी कृति है।
एक सौ पचास पृष्ठों मे समाहित यह उपन्यास 'दंश' मानवीय
सवेदनाओं का जीवन्त दस्तावेज है। इसमे जीवन में पग-पग पर घटित होने
वाले घात-प्रतिघातो और चुनौतियों के वीच संघर्षरत एक परिवार की
व्यथा-कथा का वर्णन है|
इस परिवार मे पति-पत्नी और उनके तीन वच्चे हैं। तीनो बड़े हैं|
दो पुत्र और एक पुत्री। पति-पत्नी, वेटे-बहू और पुत्री, सभी अपनी-अपनी
जगह संस्कारित, दृढ़निश्चयी तथा व्यवहारकुशल दर्शाये गये हैं । मां अपना
सम्पूर्ण जीवने अपनी सन्तानो के सही पालन-पोषण ओर सेवा मे होम कर
देती है तो पिता उन्हे संस्कारित, नैतिक चरित्रवान् बनाने मे।
पिता अपने कर्तव्य को पूर्ण करते हुए ससार से विदा लेते हैं तो मा
अन्तिम समय मे लकवाग्रस्त हो वाणी भी खो बैठती है, फिर भी वह वाकर
के सहारे कार्यरत रहती है | मंझला बेटा कैंसर का शिकार होने पर भी अन्य
लोगो की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहता है । वडी वहू एन.सी.सी अफसर
है, पर जीवन के अन्तिम वर्षो मे मधुमेह तथा हृदयाघात जैसी भयानक
व्याधियो से धिर जाने पर भी हार नही मानती ओरं समाज को नवीन चेतना
प्रदान करती है । इसी प्रकार परिवार की लाडली पुत्री माधवी अपने ससुराल
मे पारिवारिक उलर्नो एवं समसयओ का दृढतापूर्वक सामना करती है।
इस प्रकार उपन्यास का प्रत्येक पात्र शारीरिक, मानसिक एवं
पारिवारिकं दश से पीडित होने पर भी आरम से लेकर अंत तक अपनी
जीवटता एव जिजीविषा के साथ प्रतिकूल स्थितियो मे भी निरन्तर संघर्षरत
रहता है।
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