श्री सिद्ध क्षेत्र पूजासंग्रह | Shri Siddha kshetra Poojasangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीसम्मेदशिखर- विधान | ७9
ॐ ह श्रीसमेदश्िखरपिद्के्के प्रमा सक्रदसे श्रीषु-
पाश्वनाथभनिन््ारि सुमि उ पचाप्त कोड़ाकोड़ी चौरासी कोटि
बहतर टाख पात हजार सात ब्याठीस सिंद्धपदग्रातम्य, जे
निवैपामीति स्वाह ॥ ६॥
आनद करत सकर जगतको, तथा मो तिधिर इर
पे दोषरूप करटक वर्धित, अमल चन्द्र-प्रमा धरं ॥
तेचन्द्रनाथ जिनेश जइते शिदरमा-नायक मए तिम
उण श्रीचन्द्रपमुतीयैकरादि निर्वाणसूभये पुष्पांज्टि शिपत्।
सुन्दरी छद् ।
चन्द्रप्रभु आदिक सुनिराजजी ।
हौ था भूतै शिषराजजी।
सं जजत हू वड द्रव्य चटायक्र।
वषु जुणमक्षी भाश्च छगायक्षे
ॐ ही श्रीसमोरशिखरसिद्धकषेत्रके खंरितक्कटसे चन्द
प्रभुमिनेन्द्रांदि मुनि चौरासी कोड़ाकोड़ी बहतर कोटि अस्सी यख
चौरासी हजार पांच पचवन पिदधफद मतिभ्यः अर्घं निवेपामीति
स्वाहा ॥ ७ ॥
ले कुद पुष्प समान द॑तन, कांतिकर राजत प्रभो ।
ते पुष्पद॑त ड दिव्यध्वनि,कर भव्य भव तारत विभो!
उत पुष्पधन जरति करभ हनि,लोकदिखरविष थये ति.
ॐ श्ीपषपदंततीथकरादि निवांणमूमये पुषयाज्ञ कित् ।
पुष्पदुंत प्रस आदिकं सुनी |
यहाँ धिर दोय मववाषा द्ुनी ॥
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