सत्यार्थप्रकाश | Satyarthprakash

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Satyarthprakash by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(३१ )' नीं है विद्यमान इत जिखें जिसको वा उसका नाम अत है अदितोथ आर अत पर मेश्वरहों का नाम डे ॥ निमताः ज ब्माट्य: अविद्याटय: सत्तादयः सुणा: यखात सनियु ण! प्ररमें”' . ख़र: । लगत्‌ के जन्मादिक भषिदादिक श्रौर सत्वादिक गुरो से भिना हैं अधोत लगत के जितने गुण हैं वे परमेश्वर म॑ ले में: माच सन्बन्धसे मोनी रहते दस्म परमेश्वर का नाम निशं ड सच्चिनन्दादिगुणः सदहवतमा नत्वात्‌सगुणः अपन नित्य सामः विकं सच्खिदानन्दादिक थुणों से सटा सहबतसा न हो नेसे पर मे सर का नाम लशुश है कोई भो संसार में ऐसी बस्त, नहों ३, जो कि केवल निगण ्रघवा सगुण होय जेसे कि पथिवी में गन्धां दिक.गुर्णों क योग ह्ोन से सुख ह और वो थतो चेतन सर आकाशाटिकों के गुणों से रहित होने से निशुण भी है वेसहो अपने सबज्ञाटिक युखों से सदा सहित होनस परमार! | का नाम सगुण है और उत्पत्ति खिति नाश जडत्वाटिकं लगते के यु्तों से रत होने से पर मश्वर निगणभोडे वेमे सर जगहों मे परिचार कर लेना ॥(सब जगतोन्तय न्त॑ शो लम स्वसो ऽन्तयौमो । जो सब जगत क मोतर बाहर अर मध्य में सब व्याप्त होके सब को जानते हैं ओर सब जगत को नियम में! रखने से परमेश्वर का नाम अन्तवीमी है) न्यावकारी नाम के अथ म॑ घम शब्द को व्याख्या कर टो हैं उस्स जानलेना घमण ं राजते सधम॑राजः अथवाधर्मराज्ञयतिप्रकाशयति सघमगानः। धर्म न्याय का और न्याय पक्षपात के त्याग का नाम हे तिस! धर्म से सदा प्रकाशमान होय॑ अधवा सदा घम का प्रकाशकर से! से परमसरका नाम घमनज ह ॥(सबज्जगत्करो तो तिसव जगत कच्तो सो सब लगत का करन वाला होने से परमेश्वर का नाम ख्वननमत्‌ कालः हे)॥ निगतं भयस तसनिभ यः| जिसको किसी स किसी प्रकार का भय नहों होता है इस्स परमशर को नाम




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