परवार बंधू | Parwar Bandhu (1924) Ac 2469

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Parwar Bandhu (1924) Ac 2469 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० परषार चन्धु । थ 2 ७. न वेश्यां या बेटी । ( लेखक --सादित्यरल्र घ॑0 दरवारीशाल थी न्वायतोल ) 1 ट खुसर मे बहुत से मनुष्य ऐसे होते हैं जिन्हें विरोधामास की मूर्ति कह सकते है कुदडं मोदी भी उन्हों में से थे जहां पहिले दर्जे के मकक्‍्खीयूस थे वहां शक पैसा पैदा करना भी हराम समभते थे । बाप की फमाई बेटे बेठे खाना ही इनका काम था आखिर कब तक खाते जा कुछ था धीरे घीरे सब सफाचइ हेगया फिर भी दन्दः सन्तोष था सन्तोष का कारण शस्मवत: इनकी दा बेटियां थीं । मादी जी को यहीं तो एक सहारा रह गया था जिससे ये निश्चिन्त से रददते थे । मादी जी को लड़कियों के नाम थे चमस्पा सौर पश्मा जिन्हें ये बड़े प्रेम से सम्पियो या यश्चियां कहा करते थे चम्पा की उमर पंद्रह वष षमी थी ओर पश्चा की उमर ग्यारह । चम्बा विवाह येभ्य थी जवानी के चिन्ह निकटने लगे थे स्त्री सुलभ लज़ा से उसका मुंह समय समय पर लाल दे जाता था | यह बात नहीं है कि म्ादी जी इस बात का नहीं जानते ये चतुर मेदी जी पेते ही मौके की ताक में थे और चाहते थे कि इसे केच कर प्रा के चियाह तक के दिन निरितन्तापूर्बंक धितायं अन्त मे मेदी जी नै वर सलोजना शुरु किया । जब काई मनुष्य इनके यहां चैठने आता ते ये उसे पानी अवश्य पिलाते न सालुम कौनसा अगम्य संकेतं पाकर मोनी चम्पा के सजा- कर पानी का लाटा हाथ में देकर मेज देती थी छाई भूला भटका चम्पा के चिवाह के चिचय में बात 'यीत करता ता मादी जी ऐसी रामी सूरत भजथ जोक बनाकर बात करते जिससे आगन्तुक सममः जाता कि मादी जी प्रयक्ष ते! बहुत करते हैं मगर ष्पा करं यैग्य चर ही नहीं मिलता बातो ९ में मोदीजी इस बात का भी मकलका देते थे कि ध घर का मतलब अधिक रुपये देने वाला । कभी २ केई बाली भी घोल देता था मगर उतने से मादी जी की प्यास नहों बुझती थी इसी कारण अभी तक चम्पा क्‍्वाँरी रही । [२] सन्ध्या का स्मय था मादी जी मक्खियां डड़ाते हुए किसी सच में बेठे थे इतने में दो आदमी आये मादीजी ने नका स्वागत किया मीर अच्छा किया पानी मगाने के लिये भीतर आवाज दौ ““ सरी चस्पिया पानीताला आजकल चम्पा चौवीसो घंटे वनी उनी रहती है इसलिये पानी लाने में अधिक देर न लगी चम्पा ने पानी लाकर रक्‍्खा आगन्तुकों ने चम्पा के देखकर कहा “५ क्या यह आपकी पुत्रै? “जी हां यह मेगी ही पुत्री है बहुन स्यानी हागई है' उमर पंद्रह वषं को है, मोदीजी पक स्वास में सब कह गये । पक आग.--अभी तक इसकी शादी नहीं हुई ? मादी--क्या करें येगग्य वर ते! मिलता ही नहीं इसी समय चम्पा भीतर जाकर पक जगह छिप गई । एप. आ.--ता अब देरी क्या है भापके कैला र | चाहिये । मो.-माप मेरी हाउस ते जानते ही हैं आज कल व्यापार क्षी क्या दशा है कि अपना पेट ही मुश्किल से चलता है




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