केवलज्ञानप्रश्नचूड़ामणि | Kevalagyanaprashnachudamani

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Kevalagyanaprashnachudamani by नेमिचन्द्र जैन - Nemichandra Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नेमिचन्द्र जैन - Nemichandra Jain

Add Infomation AboutNemichandra Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विषयसूची ` आलिङ्गित, अमिवूमितं बर दग प्रलाक्षर ` 8३ प्रस्तावना जैन ज्योतिपकी महत्ता १७ | केवलज्ञानप्रदनचूडामणिका विपय परिचय ४९ जैन ज्योहिप साहित्यके भेद-प्रमेदोका दिखरशन १९ | पररन निकालनेकी विधि ५७ जैन पारी गणित २१ | प्रत्यका वहिरग रूप > ४८५ - लैन रेखागणित--परिचय २३ | छामाम प्रल ४९ जैन वीजगणित २४ | चोरी गई वस्तुक प्राप्तिका प्रश्न ५०९, जैन बिकोणमिति गणित २५ | अन्व-मन्दलोचनादि नक्षत्र सन्ता प्रतिमा गणित और पचाग निर्माण गणित २६ वोधक्‌ चक्र ५१ जन्मपत्र निर्माण गणित २८ | प्रवासी-आगमन सम्बन्धी प्रन ५१ चैन फलित ज्योतिप-होरा सहिता, मुहूर्त २९ | गभिणीकों पुत्र या कन्या प्राप्तिका प्रश्न ५१ सामुद्रिक शाह्त्र ३० | रोगी प्रश्न ` ५२ प्रशनशास्त्र और स्वप्नशास्त्र ३१ | मुष्टि प्रश्न ५९ निमित्त शास्त्र ३२ | मूक प्रश्न ५२ जैन प्रदनशास्तरका मूढाघार > मुकहूमा सम्वत प्रवल ५२ जैन फ्रानशास्त्रका विकासक्रम ३५ | ग्रन्थकार ५२ केवलज्ञानप्रदनचूडामणिका जैन प्रदनशास्त्रं केवलज्ञानप्ररनचूडामणिका रचना काल प स्यान ४० | आत्म निवेदनं पु ग्रन्थ भक्षरोका वर्गविभाषन ५७ | उत्तर बौर मधर प्रलाक्षरोका फक ७४ ्र्नफ़ल निकाछतेका मगणादि सिद्धान्त ५९ | उत्तरके नौ मेद भौर लक्षण ७५ इष्टका वनानेके नियम ६० | आलिङ्गित ( परवाह ) कामे करिये गये विता घडी ए्काठं दनानेकी विधि ६१ प्रदनोके फठकों ज्ञात करनेकी विधि ७६ इष्कालपरसे लग बनानेकी विधि ६१ | ममिधूमित और दण (मध्याह्न एव गरा ) भष्लाक्षरोपरसे छम धनानेकी विधि ६२ कालीन ्रर्नोके फक लाततेकी विधि ७७ पांच वगेकरि योग और उनके फल ६४ | भदेगोत्तर ओौर उनका फल ७७ प्र्लकनानुसार फ़लनिर्पण ६५ | प्रश्नफल ज्ञात करनेके अनुभूत नियम ७८ ` सुक प्रदाक्षर ओर उनका फल ६६ | योनिविभाग (प्रद्नोका विशेष फछ जाननेंके लिए) ८० आरुढ रागि सज्ञा दारां भदन फल ६७ | योनि निकालनेकी विधि ८१ असवुभत शरयनाकषरं ˆ ‡ ` ' 7, ` ` ˆ , ६८ | पृच्छककी मन स्थित चिन्ताको श्नात असयुम्त गौर अमित प्रश्नोके फठ ६९ करलेके नियम ८२ म्रदनलगन हारा विशेष फछ ७० | जीवयोनिके सेद ८३ जनमिहृत प्रदनाक्षर मौर उनका एक ७१ | द्विपदयोनि भौर देवयोनिके मेद ८४ अनिषातित प्रव्नालर भौर उनका फल ७२ | देवयोनि जाननेकी विधि ८५, मनुष्ययोनिका निरुपण ८५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now