मांस भक्ष्याभक्ष्य विचार | Mans Bhkshyabhakshy Vichar

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Book Image : मांस भक्ष्याभक्ष्य विचार  - Mans Bhkshyabhakshy Vichar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लि त्र सेवय ट दक्षा, : जेस्भोर नीर पटरिप्रिदमतरसखण्डे ॥ ्रचे-कोदे प्रभृत सवरपर में बताता है कोई प्यारी खी के हूंठों में परतु मैंने जो दियार कर देखा तो ज्ञात हुझा कि शयूत' यदि कहीं हे तो मछली के उस टुकड़े में हूँ जो जस्भौरी के पानी में सिगोया गया हो। ' मत्समांसरय सोक्तारं येतिन्दन्तिडघसानरा:। सि तवं सहस्थाणि: विष्टार्या जायतेकृमि.॥ झषें:णो सांस सछली के खाने का निषेध करते। , | हूं बे साठ इजार वपे तक्ष नके फे बीड होतेह | मल्स्यक्ता सिन्लकांदोचं पक्षिदोषं चपक्षणा । अजापन्र खराद्‌ाष सत्यस्त्य न सशयः ॥ श्रथं-भरदली ओ सिन्नों का 'पंेरुशों में पंखों . का '.वकरियों में खुरों का दोष है उन्हें लग करद शेप में कोई दोप नद्दों--इसच प्रकार के बहुत से दुष्ट रेख | मिलते,हैं उन को छोषता दं इत कारण कि इन्दं उप- | रोक्त दे चार ब्रचनों के लिखने, से हो युस्तकाठच्य दृष्टि,




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