महर्षि दयानन्द आवर महात्मा गाँधी | Mahrshi Dayanand Our Mahatma Gandhi
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
© = 9 रियो
रथात् जहां तक टो सके वहां तक श्नन्यायकारियों के बल्ल
की हानि और न्यायकारियों के वल की उन्नति सर्वथा किया
करे, इस काम में चाहे इसको कितना ही घना दुःख प्राप्त हो,
चाहे प्राण भी भले ही जवे परन्तु इस मनुप्यपन रूप धमे से
प्रथक् कभी न होवें ।
( सत्याथप्रकाश--स्वमन्तन्यामन्तग्य भ्रकाश )
(१२) धर्मात्माओं का लक्ष्य ।
वे ही धर्मास्मा जन हैँ जो अपने आत्मा के सदश् सम्पूणं
प्राणियों को मानें, किसी से भी द्वप न करें 'और मित्र के सदश
सब का सदा उपकार करें ।
( यञर्वेद भाष्य ३६। १८ भावार्थं )
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