रणभेरी | Ran Bheri
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन ` {१९
लेखा-( शिवजी लेकर ) रास; राम) सम ! महेश का इतना
अपमान ? यवोध बच्चे, तुम्दारी नस-नस में शरारत समाइ रहती है ।
छुन्रसाल--यह शिवजी दहै मा!
-लेखा--दा, शिवजी । जाने कुद्धं जानता ही नहीं |
छुन्नसाल-देखो माँ, तुम्हें कितने शिवजी चाहिए ? तुम नको
पूजा करती हो न ?
लेखा--चुप रह । आने दे च्राज्ञ चम्पत को ।
छुत्रसाल - पिताजी कहौ गयं ह्. मा!
लेखा- शिकार खेलने । ( जाती ह )
छत्रसाल-(तलवार को चूमते हुए) नहीं, नदी; नाराज न होना ।
देखो भवानी, हम तुम्हें बड़े-बड़े शिवजी ला देंगे |
(नेपथ्य से गान )
रिस रहे दो घाव बाबा*
दचसाल--( सुनकर ) कोन गाता है ? ( प्रस्थान )
( शीतला का गाते हुए प्रचेश )
गान
रिस रहे दो घाव वाचा)
ये न दो नयना हमारे,
ये न नीलम के सितारे,
येतोदो कङ्कर जगत से *
हाय सिर पर तान मारे
निवलों का भाल फोड़ा--यह धनी का चाव वावा,
रिस रहे दो घाव वाचा ॥।
(पीछे से सारन्धा और छत्रेसाल का प्रवेश । वे दोनों एक पारश्व में
खड़े होकर गाना सुनते है ।
दुःख दरदो की कहानी,
यह् हमारी जिन्दगानी;
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