गुरु चेला को संवाद | Guru Chela Ko Samvad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
659
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सम्यक्तना पांच मेद । ५
हिषे साध्तेवशस खस्य फे छे ।
, पाछलि जे भिथ्यात्वना तीन पुंज कट्या, ते मद
उज्वल पुल एज, जे सम्यक्त मोहनीय कस्मै, जतीवार
जीवने उदय आये, तेतलीवार तीजी कायाोपशमं सम्यक्तं
कीये, ए सम्यक्त ने विवे दशन स्क जे ,पूठालि कद्या
तेना विपाकी उदय नथी, 'पिण प्रदेशथी, अदुमवे छे,
ए सस्यक्त एक जीवं ने संसार मांदे ममता थकां' आवे
तो असंख्याती दार आवे, चौथा युणठाणा थी मांडी
सातमा गुणटाणा ताईं देवे ॥ २॥
दिवे वैदक खम्यक्त लिख्यते ।
पाड्लि तीन एन कड्या, ञे मिथ्यात्वनातेमांहे उज्वल
पुद्रल पुंज ञे सस्यक्त मोहनीनो, ते पण् क्षायक मापे
वे तियारे खपावे, ते खपावतां, २ अहता समय थाकते
तिवारे वेदक सस्यक्त कदीये, कां एक सम्यक्त मोदनी-
यना पुद्दल देदे ले, पिण सब देदे तो नहीं, ते ,माटे
सस्यक्त जीव ने आवे दो एकदार आवे चउथा गुणठाणा
थी सातसां तांइई होवे 1! ३ ॥
हिये साधिक सस्य कष्टे छे।
ए दशन सक्र जे पालि कड्या ते सर्वथा क्षय
दोषे, तिदारे ायिक सस्यक्त होवे, ए सम्यव्त चौधा
गुणठाशा थी मांदी चचदमां ताड दोषे, श्रने युणटयाखा
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