कोकिला | Kokila
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.11 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कोकिलां . * रंप
की ...'दीश, को इतना गुस्सा आया कि उसका बच चलता तो वह हलनाईं भऔर भीड़ के लोगों
दी को बेतों से मारता ।
राधा जिस रास्ते से आगे बढ़ी, उसी रास्ते से जगदौश को भी जाना था । एक- .
दो दिन से राधा को इस तरफ़ बच्चे के साथ घूमते हुए देखने का जगदीश को भी.
खयाल आया । यह क्या सचमुच सिखारिन होगी; उसने राघा को किसी से कुछ.
माँगते नद्दीं देखा था । वह धीरे-धीरे राधा के पोछे जाने लगा । एक ऐसी जगह,
जहाँ कोई रोशनी नहीं थो । वहाँ पास के एक मकान को पगडंडी पर राधा वठ गई.
सौर अपने बच्चे को छाती से लगा लिया । कि
जगदीद जो पीछे से आ रहा था; यदद देखकर खड़ा हो गया । और उसने राधा :
से पूछा--तुम्हें कहाँ जाना है १
इससे तुम्हें क्या १ मुझे मर रहने दो न !' राधा समकी थो कि उसे कोई पीछे ..
से परेशान करने भाया है, इसलिए ये शब्द उसने करुणापूर्ण आज़ में कहे थे । :
पुरुष जाति के प्रति इस वाक्य में करुण तिरस्कार पाकर जगदीदा को बढ़ी दाम आई । :
वह इस तरह बोला मानो वह पुरुष जाति की तरफ से प्रायश्चित्त करने जा रहा हों
माफ़ करना | पूछना तो नहीं चाहिये । पर उन लोगों ने तुम्हें जो परेशान.
किया; यह देखकर मेंने सोचा तुम्हें तुम्हारे ठिकाने पर पहुँचा दूँ ।
अपने प्रति: 'तुम' सम्बोधित छुनकर वह जगदीश पर कुछ शक करती हुई.
बोली--मेरा ठिकावा १ मेरा ठिकाना कैसा १ में तो इसी कोने में पढ़ी रहूँगी, यहाँ से.
थो कोई निकाल देगा तो किसी दूसरी जगह जा सोऊें गी ।
'.. इस समय भूखो भी तो होगी १ बह है
हाँ; दो दिन से कुछ नददीं मिला । यह अभागा वच्चा लालच से मिठाई की
पर खड़ा हो गया, पर दूकानदार ने टुझड़े के बजाय तमाचा मारा । किससे कया कहूँ १ -
प्तुम मेरे घर चलो न १” निर्दोष भाव से जगदोद ने पूछा । मैं तुम्दारे खाने-
पीने का इन्तजाम कर दूँगा, और सोने के लिए सी इन्तजाम हो जायगा । व
एक पराई अनजान ख्री को विना संकोच किये अपने यहाँ रहने के लिए कहते
हुए सुनकर इस अजीब युवक को राधा एकटक देख रही थी । राधा को पुरुषों के .
चेहरे पर शरारत पहचानने की जानकारी हो गई थी; पर ऐसा कोई निशाना उसने
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