ठंडी सड़क | thandi sadak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९६ ठँढी सड़क ।
कभी-कभी चुल्छ भर पानीमें डूवकर इस जीवन नौकाकों
किनारे ङ्गा देता दे ।
जिस समय फरदाद पद्दाड़ खोद रद्दा था, उसने शीरींके सम्ब-
न्यसे ल्याठ किया था कि हाय ! इसका री कठेजा केसा पत्थरका
डै। ओर उसी समय उसने यह तय किया था कि-यदि सँ पने
इस काममें सफल हो जाऊ'गा तो और कहां-कददां पत्थरके कलेजे ई
उनका पता छगाऊ'गा और इन्द्दीं पत्थरोंसे एक प्र म-भवन, वनाकर
दुनियामिं सर्वश्रेष्ट आश्नर्यकी सष्टि करूंगा। असख्य जनता
तो ्रोम-भवनके दर्शनार्थं अवेगी दही, परन्तु एक दिन ऐसा भी
निश्चित कर दू'गा कि श्रोम-भवनः के सामने मेदानमे मेला
ङ्गा करेगा ।
सुमे कते हुयेदुःख दहो ता दै कि फरदाद् पहाड़ खोदनेसे पट्टी
इख संसारको छोड़ गया मौर 'प्रेस-भवन” की स्कीम भाइसक्रीममें
ही पड़ी रहं गहै । सन्तोष यही ईद कि भव पुनः छोगोंका ध्यान
इस ओर गया दै ओर चडे-बड़े शदर्रोमें प्रम क्षेत्र खुर गये हैं ।
कुछ खास नगरोंके प्र म-ध्षेत्रोंके नाम ये हैं:--
(१) शुक्ला स्ट्री; हाइट स्ट्रीट--वस्वई ।
(२ ) चावडी चाजार - दिल्डी ।
(३ ) डिव्वी बाजार--खाहौर ।
(४ ) फुछट्टी बाजार--आागरा ।
( ५ ) चौक बाजार--छखनऊ |
($ ) दार्मण्डी-वनारस।
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