श्री पंचदशी सटीका सभाषा | sree panchdasi satika shabhasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
1038
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). दशी]
1 यरुस्तुति ॥ ष
-आनंदखरूपभूत भूत अयुस्मूत प्रत 1
दूत दरूरि दारि अवध्रुत वेशधारि हें ¶
अविद्याई कीन्ही बाथ ! विद्या अलति खीन्दी हाथ ।
करिसाथ सिंह जैसे माथधारी मारि हें ॥
ब्रह्मचारी ब्रततधारी श्रमजारु सारी जारी ।
पारावार पारकारी खरूप संभारि हे ॥
सरणग सुखदातं मात तात श्रात धात!
ऐसे शुरु वापूहीकू वंदना हमारि हैं ॥ ॥ ७ ॥
सहुरुखरूप राम काम धाम भक्तनिके ।
नीके नेन वैन सैन देन दान ज्ञानको ॥
तपपुंज पवित्र भताप ताप पाप तजे ।
जन तन मन दरसन दयाचानको ॥
अमर आचार ठान मान मतिमांहि नांहि ।
जाहि जिय आहि ज्ञान ध्यान भगवानको ॥
बरह्यरूप भये श्रमक्कूष भय भानतदहै। `
नामत हँ माथ मत्तिसान सतिमानको ॥ ॥८ ॥
प सवेया (मालिनी छंद ) ॥
जास प्रसाद रचो अव यास प्रयास नही नहि त्रास घनेरो ॥
ध्यास गयो. परकास भयो भवपास मयो हसता अरु मेरो ॥
भास नस्यो श्रम भास रस्यो सम वास बस्यो सरवातमनेरो ॥
आस कल्यो जननास ज्यो परदास मच्यो नम तास हमेरो ॥ ९१
ता हम दास सदा सुखवास समे सब पास सुसंगत जाके ॥
दास डरे यम मासनरे भ्रमभास परे परमातम वाके ॥
`ुच्छन संत सुखुच्छन . खच्छित दच्छ दके जिमि चच्छ फलांके ॥
` आतम् ब्रह्म अभेद छ जानत । नामत हैँ दम मस्तक्र ताके १०.॥
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