श्री पंचदशी सटीका सभाषा | sree panchdasi satika shabhasha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
sree panchdasi satika shabhasha  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
. दशी] 1 यरुस्तुति ॥ ष -आनंदखरूपभूत भूत अयुस्मूत प्रत 1 दूत दरूरि दारि अवध्रुत वेशधारि हें ¶ अविद्याई कीन्ही बाथ ! विद्या अलति खीन्दी हाथ । करिसाथ सिंह जैसे माथधारी मारि हें ॥ ब्रह्मचारी ब्रततधारी श्रमजारु सारी जारी । पारावार पारकारी खरूप संभारि हे ॥ सरणग सुखदातं मात तात श्रात धात! ऐसे शुरु वापूहीकू वंदना हमारि हैं ॥ ॥ ७ ॥ सहुरुखरूप राम काम धाम भक्तनिके । नीके नेन वैन सैन देन दान ज्ञानको ॥ तपपुंज पवित्र भताप ताप पाप तजे । जन तन मन दरसन दयाचानको ॥ अमर आचार ठान मान मतिमांहि नांहि । जाहि जिय आहि ज्ञान ध्यान भगवानको ॥ बरह्यरूप भये श्रमक्कूष भय भानतदहै। ` नामत हँ माथ मत्तिसान सतिमानको ॥ ॥८ ॥ प सवेया (मालिनी छंद ) ॥ जास प्रसाद रचो अव यास प्रयास नही नहि त्रास घनेरो ॥ ध्यास गयो. परकास भयो भवपास मयो हसता अरु मेरो ॥ भास नस्यो श्रम भास रस्यो सम वास बस्यो सरवातमनेरो ॥ आस कल्यो जननास ज्यो परदास मच्यो नम तास हमेरो ॥ ९१ ता हम दास सदा सुखवास समे सब पास सुसंगत जाके ॥ दास डरे यम मासनरे भ्रमभास परे परमातम वाके ॥ `ुच्छन संत सुखुच्छन . खच्छित दच्छ दके जिमि चच्छ फलांके ॥ ` आतम्‌ ब्रह्म अभेद छ जानत । नामत हैँ दम मस्तक्र ताके १०.॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now