सरल निबंध माला | Saral Niband-mala

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Saral Niband-mala by कुमुद विद्यालंकार - KUMUD VIDYALANKAR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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` {५1 काल से सम्वंघ रखते हैं और ४+ देशीय होते हैं । सिशनसिश अकार के वर्सनात्मक लेमे नि. सखि अकर से बाते. 'झानी 'चादियें | 4 भनुष्य, पयु-पसती आदि आसी के चिपूर्था में . भूमि का, जा ति ५ अन्य, का रदत हद, दर रचना, खान-पान) सवरथा, हानि-लाभ, उपसद।९ (मय्य के-विषय मे ७८ कितनी शिक्त पाई है, वह किस धर्म को है रौर उसके जीवन की सुख्य न रच भथा हैं) । | | थाना था सेर | „ “ हि भूमिका, चाना को कारण, तेनासौ केसे की? कव तेथारी की, भोग को घटनाओं को चर्खुल, ठह्दरसें का स्थान और उसका चुन, लौटने चण वसन, <+ म क चलदनाय „+ यचा सैर से भि(ायं, ८५७६।९.। चृत ५१ पोधे आदि भूमिका, कहां पाया जात। है, जाति) कर्ति तर्द्‌की जलवायु चाहिये ? कैसी भूमि चाहिये है किस न८छु में चैदा होता है? हानि था लाभ, उपसंहार | * बर्बत आदि । # भूमिक 1 स्थिति, प्रसिता का का, विहता, जज्गसञ प दियांज खनिज पढ़ा, नगर-गांव, यद्दां के निवासी; पर्वत के जाम एवं हानि, , उपहर । नगर गाव आदि भूमिका, स्थिति, गामक्रर्य्‌ करन्‌ रोर कैसे इ ? च[ ५ & है ¶ जनस्लरूथा, सख्य उद्योग, निचासी , शासन, उपसंह्(र | विवस्थात्मक सख इन लेखों को 'ास्वानात्मक निवल्य मी कहते हैं। ये वास्तव में अूतकासीन घटनाओं के विपय में विवरण भाज द्योता हे) समी




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