वीरांगना अरुणा आसफअली | Virangana Aruna Aasapha Ali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वीरांगना अरूणा
अखिल भारतवर्षीय कौंग्रेस अधिवशन में से
अज्ञातवासत्र
चार सालके श्रज्ञातवासके बाद आज श्रीमती अरुणा झासफअली
जाहिर होकर दिखाई दी हैं । १९४९ में अज्ञातवासी होनेके बाद वे पहिली
बार कलकत्ताके देशबन्धु पाकंमें जन ताके सामने प्रकट हुईं । उनके स्वागताथे
वहाँ एक विराट सभाका आयोजन किया गया था, जिसमें उन्होंने कहा--
“झाजसे तीन महीने तक जनताकी शक्ति बढ़ानेके लिए विद्यार्थियों और आम
जनताको ब्रिटिश मालके सम्पूर्ण बहिष्कारका कार्यक्रम हाथमें लेना चाहिए;
कौंप्रेस हिन्दुस्तानकी आज्ञादीके लिए लड़ रही है, और कॉंँग्रेसकी उस ताक़त
को बढ़ाना झाप लोगोंका पहला कतेव्य है। कंग्रेस जनताकी संस्था है,
और सन् १६४२ के झगस्तमें जनताने जो रास्ता अख्तियार किया था,
झाज कॉप्रेसको भी उसी रास्तेखे श्रागे बढ़ना चाहिए । असेम्बलियोंके लिए
प्रोग्राम बनानेवाले श्रौर बहुतसे लोग हैं, उनसे विद्यार्थियों और जनताका
कोई सम्बन्ध नहीं । हमें महात्मा गाँधीने “करो या मरो” का जो मूलमंत्र
दिया था, वह आज तक हमारे कानोंमें गज रहा है और मैं उसी तरह जीना
चाहती हं ।
त्रिटिश साम्राज्यवाद श्राज मरनेकी तेयारीमें है या शायद मरही चुका
है; लेकिन मरते मरते भी वह एक ऐसी दुर्गन्ध फैला रहा है जो लोगोका
गला घोट रही है । ्रगर हमें त्रिरिश साम्राज्यवाद् पर श्राखिरी प्रहार करना
हो तो बनी बनाई राजनीतिके बदले कुछ ऐसा. काम कर दिखाना होगा
जिससे भारत और ब्रिटेनका सम्बन्ध एक रातमें बदल जाय । बार्तालाप या
मशविरोंसे समभौता करनेमें मुमे विश्वास नहीं है, क्योंकि मैं मानती हूँ. कि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...