सज्झायमाला | Sajjhaymala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
430
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सडसतर बोलनी सदयाय. (३)
नो, पार लहे गुणखाण ॥ धन धन शासन म॑मन मुनिवरा ॥ ए आकर
॥ ९८ ॥ धमं कथरी ते वीजो जा{एये, नदिग्रेए परि नेद् ॥ निज उपदेगे
रे रंजे लोकने, मजे त्टदयसंदेद ॥ घनण्॥ एण्ड ॥ वाद त्रीजारे तक्र
निपुण न्नएयो, मल्लवादी परि जेद ॥ राजघारे रे जयकमला वरे, माजतो
जम मेद् ॥ घन०॥ ३० ॥ ज्ञइवाहु परि जेद निमित्त कदे, परमत-जी
पण काज ॥ तेद निमित्ते चोभो जायिये, श्री जिनशासन राज ॥ धनण
॥ ३९१॥ ` तप गुर कपर रेपे धमन, मेषि नवि जिन शरास ॥ अश्व |
लोपेरे नवि कोपे कदा, पचम तपसी ते जाण ॥ धन० ॥ ३१ ॥ उठो
विद्यारे मंत्र तयों बलि, जिम श्रीवयर सुर्थिद ॥ निद सातमोरे भजन
योगर), जिम कालिक सुनिचंड ॥ .घन०-॥ ३६ ॥ काथ्य सुधारस
मधुर अरन्या, धमं देतु करे जद ॥ िद्धसेनपरे. नरपति रीरषे, अछ
मवर कवि तेद ॥ घन०॥ ३४॥ जव नवि दते प्र्ाविक एईवा
तव विनि पूरव अनेक ॥ जात्रा प्रूजादिक करणी करे, तेद परसावरिक्र ठक
॥ धन० ॥ ३५ ॥ दात्त ॥, सतय सुन्नसरन देश ॥ सोदे समकित
जद, सखि जम अनर्णं देह ॥ जूबण पांच ते सन वस्यां, सखी मन
वस्यां तेइमां नदी संदेद, सुझ समकित रंग अचव दोयो ॥ ए आांक्णी ॥
॥ ३६ ॥ पटल कुहालपणं तिद्दां, सखी वंदन ने प्रखाण ॥ किरियानो
विधि अरति घशो, सख। आचरे तेद् सुजाण ॥ सुख ॥ ३७.॥ बीजू तीर
ध्र. सेवना, सखं। तीरथ तारे जेड् ॥ ते मीतारथ सुनिवरा, सखं। तेदसुं क
ज नेद् ॥ मुफ० ॥ ३५ ॥ जगति करे गुरू देवन, सख). बीजं चूषण दोय
॥ कणि चत्तास्मो नवि चे, सखि चोथं नूषश जोय ॥ सुण० ॥ ३९ ॥
(जनश्चासन अवुमोदना, सख) जेटुर्थ। बहुजन ईत ॥ कजं तेह प्रनाव
ना, सखी पाचन्ूषशन खंत. ॥ सुफ० ॥ ४० ॥ ठत ॥ इम नपि कीजे |
हो \ ए देश ॥ लक्षण पांच कद्यं समक्रितदणां, धुर नपसम अनुकूल ॥
सुगुण नर ॥ अपराध सं पण नवि चितथकी, चितविये प्रतिकूल ॥ सुगुण
नर, श्री जिनज्ञाघित वचन विचारियं ॥ ए अकरण) ॥४१॥ सुरनर सख जे
छुःख करि तेखवे, वैठे हिवसुख एक ॥ सु०॥ वीजं लङूण ते अंगोकरे
सार संषेग सुटेक ॥ सुण ॥ श्र।जिनण ॥ ४२ ॥ नारक चारक समन्नव क
न्ग्यो, तारक् जाशिने धमं. ॥ सु० ॥ चाड निकलबुं निवेद ते, चीज वकृ
ही
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