मिश्रबंधु - विनोद भाग - 1 | Mishr Bandhu Vinod Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
356
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पदाना फे प्ररसनीय-माय फटने से उनमें 'प्रपाद्धत प्रशंसा की साथ फो भेद
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स्थिर परने से यद भेद यहुत सीघ, दो दी शय्दो हारा, प्रकट ष जाना, शार
विना श्रेनी.दिमाग के वर्णन यदरामि से घर बार पूर्ण ध्तर समस्त से या लाना
कठिन है । सरोजकार एवं भाषाओं के न्य इलिएसयारो ने श्रग्पी-जिभाग स्थिर
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मे कर्यो या श्पष्ापून गरिमा था भेद क्षात नी दोना । इसी धारण से
इमने पिसी-प्राचीन प्रसाग के 'प्रभाय सें में। श्रेर्पी-पिभार चनानि फा सादरम क्या
है । घ्रनेक सम्जन इससे इस यवारण यटुत उठ सुप्ट भी दो. गए है, पर
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सकने । प्रनियो म रण्यते कै विदाम मे हमने फेयल याय्य-पीड़ला पर ध्यान
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मार मनप शपा मानतो दन उने कय नहीं पहना है । श्रेरी-दिभाग
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म्रयायनोसन से न सम्ससियों के फारण स्यथ उक या लाएंगे, कयोदि
गभासाध्य पूर्ण पिणार ये याद ही सम्ससि हो गए है । प्रारयेस स्थान पर यारए
लिग्नेमे ग्रथ ङ विन्नार रहा प्थिक यढ उपना । पाष्योगरन दमे चता,
गरोर डोप कैप साने जासे हैं, डरा यु या एन नृरिति में भागे सिरेगा 1
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