आधुनिक राजनीतिक संविधान | Aadhunik Rajneetik Sanvidhan

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Aadhunik Rajneetik Sanvidhan by सी॰ एफ॰ स्ट्रॉंग - C. F. Strong

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजनीतिक सबविधान रा अयं 5 अयोग से प्रवत्तेनीय हो जाती दै, ( 2) पहले के न्यायाधीशो के लिखित निर्णय-- अर्थात्‌ वह्‌ जिसे कभी-कभी निर्भय विधि [51 >४), स्यायाधीश-निमित विधि अथवा लोक विधि. (0०प्प्ा०ा-13१४) कहां जाता है, (3) सविधि--अर्यात्‌ राज्य के विधानमडल या ससद्‌ के अधिनियम । 5 श्रुत्व हमने ऊपर कहां है कि अन्य समुदायों वी तुलना में राज्य का विशेष गुण विधिम बनाने जर उनको दमन के एसे सव साधनो दारा, जिन्हे वह्‌ प्रयुक्त करना चाहे, प्रवत्तित करन वी शक्ति है। यह शक्ति 'घ्रमुत्व' कहलाती है। यह एक बहुत दी विवादास्पद शब्द है और इसके विपय मे हमे आगे बहुत-कुछ बहना है। यहाँ पर इसे इसके दुहरे--आतरिक और वाहा--पहलू में परिभाषित कर देना पर्याप्त होगा । आन्तरिक दृष्टि से पभूत्व का तात्पयं राज्य मे एक य्यविति या व्यक्तियों के निकाय की, उसके क्षेत्राधिकार के अन्दर व्यक्तियों था व्यक्तिया के समुदायों पर सर्वोच्चता है\ वाह रूप से प्रभुत्व का अथे है अन्य सब राज्यो के सम्बन्ध भे एक राज्य की पूरण स्वतव्रता । व्युत्पत्ति कौ दृष्टि से 'प्रभुत्व' शब्द का अभ केवल प्रधानता दै, विन्तु राज्य मे सम्बन्ध मे प्रयुक्त करने पर इसका अथं एक विशिष्ट प्रवार की प्रधानता होता है अर्यात्‌ सौ प्रधानता जिसमे विधि- पचालन अर्यात्‌. विधि-निर्माण कौ शक्ति उपलक्षित दै। विसी भी राज्य में परभुर्व-शक्नि नां रिथत है, इस वात वा पता लगाने के लिए यह आवश्यक है कि जिन तीन रूपों में इस शब्द का प्रयोग होता है उनमे विभेद कर लिया जाय । इसका तात्पयं हों सकता है--(1) राज्य वा नामधारी प्रमुख; जैसे यूनाइटेड किगडम में महारानी , (2) वैध प्रभु--अर्थात्‌ बह व्यवित या वे व्यित जो देश कौ विचि के अनुसार विधि-निर्माण-कार्य करते हैं और शासन का सचालन करते है, जैंसे यूनाइटेड किगडम मे रासद्‌ सहित महारानी, (3) राजनीतिक या सचिधानी प्रभु--अर्थात्‌ व्यक्तियों का वह निकाय जिसमे शक्ति अन्तत निवास वरती है; जिसे कभी-कभी सामूहिक प्रभू कहा जाता है और जिसका निवास आधुनिक सविधानी राज्य में निर्वाचक-मडल अथवा मतदात्री जनता मे होता है। अभी हमारा सम्बन्ध प्रभुत्व ने इन पटलुओ मे से केवल दूसरे पहलू से है, यद्यपि तीसरे पहलू का कार्य, जैसा कि हम वाद मे देखेंगे, आधुनिक राज्य मे अत्य- घिक महत्त्वपूर्ण होता है । जेम्स ब्राइस ने एक अंगरेज के विपय मे लिखते हुए किसी भी राज्य मे प्रभु का पता लगाने को प्रक्रिया का एक उत्तम उदाहरण दिया है। उसने लिखा हैः एक्‌ नगरपालिका मे किसी मृहस्वामो से सडक्~कर' की मांग नी जाती है । वह उसका कारण पूछताहै । उसका ध्यान 'कर' आरोपित करने याली नगर-परिपद्‌




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