बसंत बहार | Vasant Bahar

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Book Image : बसंत बहार  - Vasant Bahar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेरे जीवन का पतझड़ मी आज बसत बहार बन गया जज निठर व्यवहार किसी काः मुझको छ कर प्यार बनं गथा) का. मादक मधुवन था आख पसारे, मनं की केवल एक लहर पर मै यौवन देख रहा मैने चम लिए अगारे, आत्मसमर्पण करके लेने पीडा का उपचार चला मैं, अपने भन की आतुरता से जीती बजी हार गया मेः आकुल अतर की पीड से गीतो का ससार बन गया । १४




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