बसंत बहार | Vasant Bahar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
263
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरे जीवन का पतझड़ मी
आज बसत बहार बन गया
जज निठर व्यवहार किसी काः
मुझको छ कर प्यार बनं गथा)
का. मादक मधुवन
था आख पसारे,
मनं की केवल एक लहर पर
मै यौवन
देख रहा
मैने चम
लिए अगारे,
आत्मसमर्पण करके लेने
पीडा का उपचार चला मैं,
अपने भन की आतुरता से
जीती बजी हार गया मेः
आकुल अतर की पीड से
गीतो का ससार बन गया ।
१४
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