उदयशंकर भट्ट व्यक्ति और साहित्यकार | Udayshankar Bhatt Aur Sahityakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यददास्वी जीवन को एक काँकी है ७- लगता हैं मेरा ध्येय पुरा हो गया । प्रह्न--इसी प्रसंग मे एक बात श्रौर पूँछ लूँ। कया श्राप अपने कृतित्व से सन्तुष्ट है ? उत्तर--इस का निणंय करना मेरा नही, श्राप का काम है। मै तो इतना ही कह सकता हूँ कि जो कुछ मैं ने लिखा श्रपनी भ्रन्त प्रेरणा भ्रौर ईमानदारी से लिखा है । वहं केषा है, कितना स्थायी है, यह परीक्षा करना काल का काम है, मेरा नहीं । जो पहले कह चूका हूँ, उसी को दुहरा देता हं - जो कृष्ट मै ने लिखा धरोहर है वही, जाने कितना व्यथं श्रौर कितना सही । जो क सुन्दर, सत्य देवि का दानदहैः बाकी है सब व्यथं सृजन-अ्रभिमान हे । ~< >< >< मै हं केवल यंत्र स्वर वही, स्रोत बहु, वीणा के स्वर से है श्रोत प्रोत वह्‌। होना मत नाराज विवद्य छोटा कलश, जितना है श्राकार नौर उस के सदृक्ष । प्ररन- क्या श्राप के साहित्यिक व्यक्तित्व श्रौर कृतित्व पर भी कोई ग्रत्थ लिखा गया है? उत्तर--'नाटककार उदयशकर भट्ट नाम से सुश्री मनोरमा शर्मा की एक पुस्तक १६६९३ मे प्रकाशित हुई है । भट्ट जी के प्रेरणाप्रद तेजस्वी जीवन श्रौर उन के महान्‌ प्रतिभाशाली साहित्यकार से मैं श्रभिभ्ुत हो चुक। था । विविधता, परिमाण भ्रौर गण सभी दृष्टियो से उन का साहित्य श्रद्भुत है। इतना सब कुछ जान लेने के बाद एक प्रइन श्रौर भी बाकी रह गया, लेकिन श्रागे पूछने का साहस नहीं होता था, क्योकि भट्ट जी थक गए थे । वेसे भी प्रइन परिवार से सम्बन्धित था । श्रत मैं ने वह प्रइन उन के पृत्र से पूछने का निश्चय किया। उन के परिवार मे निरन्तर श्राते-जाते रहने से बहुत कुछ तो मूफऋे मालूम ही था। फिर भी प्रामाणिकता के लिए मैं ने उन के मँभले लडके से पूछा । हन-- कपया बताइए, झ्राप कितने भाई-बहन है ? उत्तर--हम तीन भाई श्रौर दो बहने है। एक बडी बहन श्रौर थी, जिन का नाम स्नेहलता था । बनारस मे विवाह के कुछ समय बाद उन का देदहान्त हो गया । उन की एक कन्या गायत्री हमारे पास रही उस का विवाह भी हो गया है शेषदो के नामहै सतोष श्रौर उषा । दोनो के विवाह अच्छे घरो में




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