भक्त नरसिंह मेहता | Bhakt Narsingh Mehata
श्रेणी : जीवनी / Biography, पाठ्यपुस्तक / Textbook
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
178
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र ९ चूँजी 1
बुद्धि, होशियारी, चतुराई आदिको वेतन, फीस, कीमत आदिके
| चेचते हैं और धर्मयुरुकों दक्षिणाके रूपमें उसके उपदेशको
दी जाती है । विद्याइचिके ये धंदे विशेष सम्मानके माने जाते
न्तु इनमे शैला चाहिए टाभ नहीं होता । न हो, परन्तु इनकी
पकता बड़ी भारी ६1 ये योग उन सब विद्या्ओंको बड़े परिश्रम
रचसे खरीदते हैं और इस रूपमें बेचते हैं ।
प्रन्यान्प फुटकर फाम । दटाठी, आाइत बंगेरद छोटे-बड़े अनेक
र काम-धंदे हैं । उनका मददत्व कुछ कम नहीं है, परन्तु इस
सी पुस्तकमें उनका धर्णन फरनेको जगह नहीं है ।
जी ।
~
हप परर करने भर्थात् माठको खरीदने, उसे बेचनेकी व्यवस्था
करन, दूकान, धमासा, नीकर-चाकर भादि रखनेके यिए्
३ रकमदौ आवर्ययता पड़ती -उसीका नाम पनी ६ । धा चा-
टप् जिस रषःमफी अत्यन्त भावरपवता होती टै, पा जिस भब -
साधनक विना दा चट ही नदी सकना-उसीका नाम नी है।
कि बिना धंेका प्रारम्भ ही नहीं हो सकता 1 यद दान स्पट है कि
पनिके ठिए रकम पास न हो हो खर्च किया ही केने जा सकता
। एरीदना प्दापारका प्रारर्मिक काम है-मूठनप्य है 1 पदाता
इक याद इतना है मुप्य काम सकी रट जाना है दि उस बस्तुक्ो
र प्र उपसे सस सदार कुदः दमे टः निकाडा जाप ३
देः त्दीद्नेः दाद् उस्र जो ग हएरानान (प्रई) चरते £ रनम
लीप स्दाज, भशर र दवानषन पिराया, गुम रैप -दास-
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