विराट | Virat
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्दर
पुस्तक के पृष्ठों पर भी दृष्टिगोचर होगी । लेकिन झाखिर छाया भी तो
प्रकाश से ही उत्पन्न द्ोती दै । जिस व्यक्ति ने उषा श्यौर श्न्धकार,
युद्ध तथा शान्ति, डतार व चढाव सभी का झनुभव किया है, केवल
उसी के बारे में यद कहा जा सकता है कि वहु दरअसल जीवित
रहा दे ।”'
्रपनी इस परिभाषा ॐ श्रनुसार स्टीफन ज्विग ने जीवन को
समस्ता था और खूब समका था । मानवीय कमज़ोरियों या त्रुटियों को
नहीं, उसकी रचनात्मक शक्ति को ही वे मददत्व देते थे । वे क्ते थे:
“वही वास्तव में सच्ची जिन्दगी व्यतीत करता है, जो अपनी
जीवन-शक्रित को भावी सन्तान के लिये व्यय कर देता दै श्रौर जो
उसे भविष्य को श्रर्पित कर देता दें ।”'
स्टीफन उिविग अपनी रचनाओं में विद्यमान हैं । 'विराट' में पाठक
उन्द्यों के सात्विक वथा उज्ज्वल रूप का प्रतिबिम्ब देखेंगे--शाकर्षक
तथा मनोहर, विनच्र शौर प्रभावशाली । 'कमंण्येवाधिकार रत” के सन्देश
को इस खूबो के साथ उपस्थित कर देने वाले उल्ल अमर कलाकार की
सेवा मं हमारा सहख बार प्रणाम !
गान्धी भवन,
टीकमगढ़ --बचारसीदास चतुर्वेदी
१७.-८-७ य
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